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बच्चेदानी में रसौली होने के हैं ये सारे संकेत, लापरवाही बरती तो हो जाएगी मुश्किल

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 10 Dec, 2025 06:53 PM
बच्चेदानी में रसौली होने के हैं ये सारे संकेत, लापरवाही बरती तो हो जाएगी मुश्किल

नारी डेस्कः  बच्चेदानी में रसौली, जिसे फाइब्रॉइड भी कहा जाता है, महिलाओं में पाई जाने वाली एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। यह बच्चेदानी की मांसपेशियों में बनने वाली गांठें होती हैं, जो हार्मोनल असंतुलन, तनाव और अनियमित दिनचर्या के कारण बढ़ सकती हैं। बच्चेदानी (यूटरस) में रसौली (Fibroid / Myoma / Uterine Fibroid) महिलाओं में एक सामान्य समस्या है। ये मांसपेशियों की असामान्य वृद्धि होती हैं, जो कभी-कभी दर्द, ब्लीडिंग या प्रजनन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती हैं।  इसके कारण अत्यधिक ब्लीडिंग, पेटदर्द, कमरदर्द और गर्भधारण में कठिनाई जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। नियमित जांच, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसके जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

1. बच्चेदानी में रसौली के बनने के कारण (Uterus Fibroid Causes)

बच्चेदानी में रसौली होने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर वजह जो हो सकती हैं उनके बारे में आपको बताते हैं। 

हार्मोनल असंतुलनः एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का असंतुलन इसे बढ़ावा दे सकता है।

आनुवंशिक कारणः  परिवार में अगर किसी महिला को फाइब्रॉइड की समस्या रही हो, तो संभावना बढ़ जाती है।

उम्र और प्रजनन स्थितिः 30–40 साल की महिलाओं में अधिक देखा जाता है।

ओवरी से जुड़ी समस्याएंः जैसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)।

जीवनशैली और आहारः ऑयली फूड, जंक फूड, शर्करा और रेड मीट का अधिक सेवन जोखिम बढ़ा सकता है।
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2. बच्चेदानी में रसौली होने के लक्षण (Uterus Fibroid Symptoms)

सभी महिलाओं में लक्षण स्पष्ट नहीं होते, पर कुछ सामान्य लक्षण हैं:

असामान्य मासिक धर्म – बहुत भारी या लंबे समय तक ब्लीडिंग।
पेट में भारीपन या दर्द – विशेषकर पीठ और पैरों में भी दर्द हो सकता है।
पेशाब या कब्ज की समस्या – फाइब्रॉइड बढ़ने पर यह दबाव डाल सकता है।
गर्भधारण में समस्या – कभी-कभी गर्भधारण में कठिनाई या मिसकैरेज का खतरा।
अनियमित पीरियड्स – समय पर मासिक धर्म न होना।

बच्चेदानी की रसौली से सावधानियां और जीवनशैली (Precautions & Lifestyle)

नियमित जांच कराएंः अल्ट्रासाउंड और डॉक्टर की सलाह समय-समय पर लें।
संतुलित आहार लेंः हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दालें और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद।
जंक फूड और रेड मीट कम करेंः ज्यादा तैलीय और प्रोसेस्ड फूड फाइब्रॉइड को बढ़ा सकता है।
व्यायाम और योगः हल्की से मध्यम एक्सरसाइज, योग और ध्यान तनाव कम करते हैं और हार्मोन संतुलित रखते हैं।
वजन नियंत्रित रखेंः अधिक वजन हार्मोनल असंतुलन बढ़ा सकता है।
डॉक्टर की दवा और सप्लिमेंट लेंः सिर्फ सलाह के बाद। अगर रसौली बड़ी है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। 
धूम्रपान और शराब से बचेंः ये हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करते हैं।

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