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इस बार भद्रा के साए में आएगी सावन शिवरात्रि, जानें कब करें भोलेनाथ का शुभ पूजन

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 23 Jul, 2025 12:58 PM
इस बार भद्रा के साए में आएगी सावन शिवरात्रि, जानें कब करें भोलेनाथ का शुभ पूजन

नारी डेस्क: सावन शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की भक्ति और आराधना का सबसे खास दिन माना जाता है। यह पर्व हर साल सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण भोलेनाथ को जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाते हैं, उपवास रखते हैं और रातभर जागरण व चार प्रहर की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन शिवरात्रि पर शिवजी की सच्चे मन से पूजा करने से धन, सुख, शांति, यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साल 2025 में सावन शिवरात्रि बुधवार, 23 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है लेकिन इस बार पूजा के समय पर भद्रा का साया भी रहेगा जिसे ध्यान में रखना जरूरी है।

भद्रा क्या होती है और क्यों है अशुभ?

हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा एक अशुभ काल होता है। यह "विष्टि करण" की अवस्था होती है, जिसमें किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा, विवाह, मुंडन आदि नहीं किए जाते। मान्यता है कि भद्रा काल में पूजा करने से कार्य में विघ्न आ सकता है और फल भी विपरीत मिल सकता है। इसलिए शिवरात्रि की पूजा करते समय भद्रा का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

सावन शिवरात्रि 2025 में भद्रा का समय

इस बार भद्रा का समय 23 जुलाई को सुबह 05:37 बजे से दोपहर 03:31 बजे तक रहेगा। इस दौरान शिवजी की पूजा से परहेज करने की सलाह दी जाती है। पूजा को या तो भद्रा से पहले करें (जो संभव नहीं है) या भद्रा समाप्त होने के बाद ही आरंभ करें।

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शिवरात्रि तिथि और व्रत से जुड़ी जानकारी

चतुर्दशी तिथि आरंभ: 23 जुलाई 2025 को सुबह 04:39 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 24 जुलाई 2025 को रात 02:28 बजे
व्रत पारण (उपवास खोलने का समय): 24 जुलाई को सुबह 05:27 बजे से

चार प्रहर की पूजा का महत्व

शिवरात्रि की रात को चार प्रहरों में विशेष पूजा की जाती है। हर प्रहर में अलग-अलग विधि से भगवान शिव की आराधना की जाती है।
प्रथम प्रहर: शाम 06:59 से रात 09:36 तक
द्वितीय प्रहर: रात 09:36 से 12:13 तक
तृतीय प्रहर: रात 12:13 से 02:50 तक
चतुर्थ प्रहर: रात 02:50 से सुबह 05:27 तक
हर प्रहर में जल, दूध, शहद, दही और घी से शिवलिंग का अभिषेक करना उत्तम माना जाता है।

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शिवरात्रि पर पूजा का सबसे शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त पूजा: सुबह 04:15 से 04:56 बजे तक
प्रदोष काल: सूर्यास्त के बाद से रात्रि आरंभ तक — यह समय भी बेहद पुण्यदायक माना जाता है। इन दोनों समयों में पूजा करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

सावन शिवरात्रि व्रत और इसके नियम

इस दिन शिव भक्त निर्जला उपवास या फलाहार व्रत रखते हैं। दिनभर उपवास कर रात को शिव जी की पूजा, भजन-कीर्तन और ध्यान किया जाता है। व्रत से भक्त को आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक शांति और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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शिव जी के प्रमुख मंत्र

सावन शिवरात्रि के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायक होता है:
ॐ नमः शिवाय
ॐ साधोजाताय नमः
ॐ अघोराय नमः
ॐ वामदेवाय नमः
ॐ तत्पुरुषाय नमः
ॐ ईशानाय नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
इन मंत्रों के नियमित जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शिव कृपा बनी रहती है।

महादेव की कृपा पाने का सही तरीका

अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो सावन शिवरात्रि आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। बस एक बात का ध्यान रखें पूजा का समय भद्रा काल के पहले या बाद में होना चाहिए। सही समय पर और विधि-विधान से की गई पूजा से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सावन शिवरात्रि सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि भक्ति, तप और शिव से जुड़ाव का दिन है। इस दिन व्रत, पूजा, मंत्र-जाप और ध्यान के द्वारा हम शिव के आशीर्वाद के अधिकारी बन सकते हैं। बस भद्रा काल का ध्यान रखें और सच्चे मन से शिव भक्ति करें निश्चित ही महादेव की कृपा आप पर बरसेगी।

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