
नारी डेस्क: बिहार के छपरा जिले के नारायणपुर गांव के रहने वाले बीएसएफ (BSF) के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज 10 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के आर.एस. पुरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में शहीद हो गए। यह गोलीबारी बिना किसी उकसावे के शुरू हुई थी।
शहीद इम्तियाज ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी बहादुरी और देशभक्ति को पूरा देश सलाम कर रहा है। हालांकि अभी तक उनकी पत्नी को उनकी शहादत की जानकारी नहीं दी गई है। उन्हें सिर्फ इतना बताया गया है कि इम्तियाज को पैर में चोट लगी है।
गांव में शोक और गर्व का माहौल
उनकी शहादत की खबर जब गांव में पहुंची, तो चारों तरफ शोक की लहर फैल गई। हर कोई गमगीन है, लेकिन साथ ही गांव के लोग इस बात पर गर्व महसूस कर रहे हैं कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ। सोशल मीडिया से लेकर गांव की गलियों तक, हर जगह इम्तियाज की बहादुरी के चर्चे हो रहे हैं।
बीएसएफ ने दी श्रद्धांजलि
बीएसएफ ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "हम सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज की बहादुरी और उनके सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं। उन्होंने मातृभूमि की सेवा में जो बलिदान दिया है, वह हमेशा याद रखा जाएगा।" 11 मई को जम्मू के पलौरा स्थित फ्रंटियर मुख्यालय में इम्तियाज को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष सभा आयोजित की गई, जिसमें बीएसएफ के महानिदेशक, उच्च अधिकारी और जवान शामिल हुए।
परिवार और दोस्तों में शोक
इम्तियाज अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और दो बेटियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके बचपन के दोस्त और छपरा के जिला कांग्रेस अध्यक्ष बच्चू प्रसाद वीरु ने बताया कि इम्तियाज बहुत ही मिलनसार और मददगार इंसान थे। वे हमेशा लोगों की सहायता के लिए तैयार रहते थे।
देशभक्ति परिवार से ताल्लुक
इम्तियाज एक ऐसे परिवार से आते थे जहां देश सेवा को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। उनके तीन भाइयों में से दो भारतीय सेना में हैं, जबकि तीसरा भाई विदेश में काम करता है। बीएसएफ के महानिदेशक ने कहा, "शहीद मोहम्मद इम्तियाज की शहादत देश के युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनका साहस और देश के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों को सच्ची देशभक्ति सिखाता रहेगा।"