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मां काली से जुड़ा नरेंद्र जी का किस्सा, अंहकार ने छीन ली थी आवाज

  • Edited By Priya dhir,
  • Updated: 22 Jan, 2021 04:08 PM
मां काली से जुड़ा नरेंद्र जी का किस्सा, अंहकार ने छीन ली थी आवाज

भजन सम्राट नरेंद्र चंचल जी 80 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। आज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में नरेंद्र जी ने आखिरी सांस ली। खबरों की माने तो वे पिछले 3 महीने से बीमार थे। संगीत की दुनिया में नरेंद्र जी का एक अलग नाम रहा। जब भी लोग माता रानी के भजन सुनते हैं तो उनके जहन में नरेंद्र चंचल जी का नाम खुद ब खुद आ जाता हैं। नरेंद्र जी ने ही माता के जगराते को अलग दिशा दी। नवरात्री का पर्व हो या कोई मां का जागरण इनके भजन के बिना अधूरा माना जाता है। कम ही लोग जानते हैं कि अपने भजनों से लाखों दिलों पर राज करने वाले चंचल जी की एक बार आवाज ही चली गई थी।

जब चली गई थी नरेंद्र चंचल की आवाज

खबरों की माने तो एक बार नरेंद्र जी को घर के पास ही मां काली के मंदिर में उन्हें भेंट गाने के लिए किसी ने कहा था। उस वक्त उन्हें भजन रिकार्ड के लिए मुंबई जाना था। मुंबई जाने के लिए चंचल जी ने कह दिया कि मैं बीमार हूं और वह काली माता मंदिर में भजन गाने की बजाय भजन रिकार्ड करवाने मुंबई चले गए। फिर मुंबई भजन रिकार्ड करते वक्त उनकी आवाज़ बंद हो गई। खबरों के मुताबिक, उन्हें समझ आ गया था कि मां काली के मंदिर में उन्होंने भजन गाने से मना किया इसलिए उन्हें यह सजा मां ने दी है। खबरों की माने तो चंचल जी फिर अमृतसर आए और मां काली मंदिर में जाकर माफी मांगी तो उनकी आवाज वापिस आई थी। 
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नाम के पीछे छिपा हैं राज

नरेंद्र जी के नाम के पीछे चंचल लगाने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। नरेंद्र चंचल का जन्म अमृतसर में हुआ लेकिन जालंधर में इनका आना-जाना लगा रहता था। संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने के पीछे उनकी कड़ी मेहनत छिपी थीं। बचपन में माता रानी के भजनों को सुनकर उन्हें भी संगीत गाने की इच्छा हुई। खबरों की माने तो नरेंद्र जी बचपन में काफी शरारती थे और उनका मन भी पढ़ाई में नहीं लगता था इसीलिए वह स्कूल से छुट्टी करके खेलते रहते थे। शरारती होने के कारण ही उनके टीचर ने उन्हें चंचल कहकर बुलाना शुरु कर दिया था। इसके बाद नरेंद्र जी ने अपने नाम के पीछे हमेशा के लिए चंचल जोड़ लिया।
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मां से सीखा भजन गाना 

खबरों की माने तो नरेंद्र चंचल जी की पहली गुरू उनकी मां थी। मां के साथ-साथ  उन्होंने भजन गाना शुरु किया। जब चंचल जी ने भजन गाना शुरू किया था, उस वक्त कैसेट का जमाना नहीं था। चंचल जी का पहला भजन 'तेरे नाम दी जपा माला ओ शेरावालिये' म्यूजिक एलबम में रिलीज हुआ, जिसने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। तूने मुझे बुलाया शेरावालिये.. जैसी भजन नरेंद्र चंचल जी के फेमस थे। एक बार चंचल जी ने कहा था कि बस हसरत यही है कि भजन गाते-गाते ही आखिरी सांस लूं। भले ही नरेंद्र चंचल जी अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन लोगों के दिलों में वह हमेशा जिंदा रहेंगे।

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