27 APRSATURDAY2024 8:16:02 PM
Nari

'जज साहब मेरी पत्नी जींस-टॉप पहनती है बच्चे की कस्टडी मुझें दें', कोर्ट ने लगाई पिता को फटकार

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 09 Apr, 2022 05:32 PM
'जज साहब मेरी पत्नी जींस-टॉप पहनती है बच्चे की कस्टडी मुझें दें', कोर्ट ने लगाई पिता को फटकार

बच्चे की कस्टडी को लेकर दायर एक याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि पुरुष साथियों के साथ घूमने या जींस-टॉप पहनकर महिला के चरित्र का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर पत्नी पति की इच्छा के मुताबिक खुद को नहीं ढालती है तो यह उसे बच्चे की कस्टडी से वंचित करने का निर्णायक कारक नहीं होगा। यह कहते हुए कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी।

अधिवक्ता सुनील साहू ने कहा कि न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की युगल पीठ ने महासमुंद जिले की फैमिली कोर्ट के बच्चे की कस्टडी मां को सौंपने के आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की सोच महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए जारी लड़ाई को और कठिन बना देगी। ऐसी मानसिकता वाले समाज के कुछ लोगों के प्रमाण पत्रों से महिला के चरित्र का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।

सुनील साहू ने बताया कि महासमुंद निवासी एक दंपत्ति की शादी वर्ष 2007 में हुई थी। उसी वर्ष दिसंबर माह में उनके घर एक पुत्र का जन्म हुआ। शादी के पांच साल बाद साल 2013 में आपसी सहमति से दोनों का तलाक हो गया। दोनों ने मिलकर फैसला किया कि बेटा अपनी मां के पास ही रहेगा। इसके बाद बच्चे की मां महासमुंद में ही एक निजी संस्थान में कार्यालय सहायक के रूप में काम करने लगी।

PunjabKesari

2014 में बच्चे के पिता ने महासमुंद की फैमिली कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बेटे को सौंपने की मांग की। पिता ने अर्जी में दलील दी कि उसकी पत्नी अपने संस्थान के पुरुष साथियों के साथ बाहर जाती थी। वह जींस-टी-शर्ट पहनती है और उसका चरित्र भी अच्छा नहीं है। ऐसे में उसके साथ रहने से बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा।

गवाहों के बयानों के आधार पर फैमिली कोर्ट ने 2016 में बच्चे की कस्टडी मां के बजाए पिता को सौंप दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ बच्चे की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में मां ने कहा कि दूसरों के बयानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि केवल पिता ही बच्चे की उचित देखभाल कर सकता है।

हाईकोर्ट ने बुधवार को फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी। कोर्ट ने यह भी माना कि बच्चे को अपने माता-पिता के समान प्यार और स्नेह का अधिकार है। हाईकोर्ट ने बच्चे के पिता को उससे मिलने और संपर्क करने की सुविधा भी दी है।

 

Related News