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इस दिन है फरवरी का पहला प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 30 Jan, 2023 06:03 PM
इस दिन है फरवरी का पहला प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

प्रदोष का अर्थ होता है दिन का खत्म होना और रात्रि की शुरुआत होना। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को यह समय बहुत पसंद है। इस समय वे सभी देवी-देवताओं के साथ कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं। हर महीने की तेरस को भगवान शिव का प्रदोष व्रत किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान करने के सामन पुण्य प्राप्त होता है। दरिद्रता, ऋण के भार से दुखी और किसी भी तकलीफ को दूर करने के लिए प्रदोष पूजा-व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है।

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2 फरवरी को पहला प्रदोष व्रत

इस बार फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत 2 फरवरी 2023 गुरुवार को रखा जाएगा। गुरुवार के दिन होने से यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता हहै कि इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग प्रदोष व्रत रखते हुए शाम के समय भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा आराधना करते हैं, उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत के करने से सुख समृद्धि और सौभाग्य में वुद्धि होती है।

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गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

गुरु प्रदोष का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी 2023 को शाम 4 बजकर 26 मिनट से शुरु होकर शाम 6 बजकर 57 मिनट पर खत्म होगा। गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 1 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

गुरु प्रदोष पूजन विधि

प्रदोष व्रत के शुभ दिन सुबह नहा कर सफेद कपड़े पहन लें। इसके बाद शिवलिंग को जल और बेल पत्र अर्पित करें। उनको सफेद वस्तु का भोग लगाएं। उसके बाद शिव मंत्र " ऊं नम: शिवाय " का जप करें।  रात में शिव जी के सामने घी का दीया जलाएं। इस दिन सिर्फ पानी और फल का सेवन करना सही होता है। इस दिन नमक और अनाज नहीं खाना चाहिए।

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 गुरु प्रदोष व्रत का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने वाला व्यक्ति जन्म- जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ता है, उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृ्पा होगी ऐसा माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के बाद शांत मन से प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है तो उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती। प्रदोष व्रत के दिन घर के मंदिर की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिेए और घर में लड़ाई-झगड़ा या विवाद न करे।  व्रत कर रहे लोगों को दूसरों के लिए बुरी भावना अपने मन में नहीं लाना चाहिए।
 

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