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Nari

कहीं आपकाे बूढ़ा तो नहीं बना रही मामूली सी दिखने वाली ये बीमारी, अभी भी वक्त हैं छोड़ दें ये बुरी आदत

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 09 Jun, 2025 06:14 PM
कहीं आपकाे बूढ़ा तो नहीं बना रही मामूली सी दिखने वाली ये बीमारी, अभी भी वक्त हैं छोड़ दें ये बुरी आदत

नारी डेस्क: एक हालिया शोध में चौंकाने वाली बात सामने आई है। इसमें दावा किया गया है कि 40 की उम्र के बाद मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण केवल “तनाव” नहीं हो सकते ये भविष्य में मस्तिष्क संबंधी गंभीर रोगों का संकेत हो सकते हैं।  शोध में कहा गया कि यदि किसी व्यक्ति को 40 साल की उम्र के बाद डिप्रेशन (अवसाद) या बाइपोलर डिसऑर्डर (उन्माद-निराशा विकार) की समस्या होती है, तो आने वाले वर्षों में उसे डिमेंशिया (स्मृति लोप या भूलने की बीमारी) होने का खतरा बढ़ जाता है। यानी कि आपका दिमाग वक्त से पहले बूढ़ा हो जाएगा। 
 

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क्या कहता है अध्ययन?

अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों ने पाया कि मध्यम आयु (40-65 साल)में मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं, जैसे: लंबे समय तक रहने वाला डिप्रेशन,   बाइपोलर मूड डिसऑर्डर या बार-बार होने वाला एंग्जायटी अटैक का सामना करना पड़ सकता है। इनसे मस्तिष्क में संरचनात्मक और न्यूरो-केमिकल बदलाव होने लगते हैं। इन बदलावों से धीरे-धीरे संज्ञानात्मक क्षमता (cognitive ability) कमजोर होती है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है।


रिसर्च के मुख्य बिंदु:

जिन लोगों को 40+ की उम्र में डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर हुआ, उनमें आगे चलकर डिमेंशिया होने की संभावना 2 से 3 गुना अधिक पाई गई। यह खतरा महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थोड़ा ज्यादा देखा गया। यदि मानसिक बीमारी का इलाज सही समय पर नहीं होता, तो समस्या और गंभीर हो सकती है।


 डिमेंशिया क्या है?

डिमेंशिया एक मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति को:

-भूलने की समस्या,
-निर्णय लेने में कठिनाई,
-व्यवहार में बदलाव,
-धीरे-धीरे दैनिक कामों को करने में परेशानी होती है।


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बचाव के उपाय

-40 की उम्र के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें।
-डिप्रेशन, तनाव या मूड स्विंग्स को हल्के में न लें।
-योग, ध्यान और नियमित व्यायाम अपनाएं।
-सोशल एक्टिव रहें और ब्रेन को एक्टिव रखने वाले खेल या पढ़ाई करें।
-समय पर काउंसलिंग और दवाइयों से इलाज कराएं।

विशेषज्ञों की राय:

 "यदि कोई व्यक्ति 40 वर्ष की उम्र के बाद लंबे समय तक डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझता है, तो उसे न्यूरोलॉजिकल स्क्रीनिंगऔर मानसिक स्वास्थ्य जांच नियमित रूप से करानी चाहिए।" समय रहते इलाज और जागरूकता से डिमेंशिया जैसे रोगों से बचा जा सकता है।

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