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प्रदूषण की वजह से खराब हो रहे हैं फेफड़े, जानें कैसे रख सकते हैं इनका बचाव

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 05 Jun, 2019 12:22 PM
प्रदूषण की वजह से खराब हो रहे हैं फेफड़े, जानें कैसे रख सकते हैं इनका बचाव

लगातार बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। सिर्फ बाहर ही नहीं बल्कि घर के अंदर मौजूद प्रदूषण के कारण भी लोगों में बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभग 70 लाख लोगों प्रदूषण के कारण अपनी जान गवां बैठते हैं, जिसमें बच्चे भी शामिल है। आज हवा से लेकर फल-सब्जियां और पानी तक दूषित हो गया है, जो कई बीमारियों का घर है। ऐसे में पर्यावरण से सुरक्षा ही बचाव का एकमात्र उपाय है।

आज विश्व पर्यावरण दिवस (World Environmental Day) के मौके पर हम आपको बताएंगे कि आप किस तरह पर्यावरण प्रदूषण से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

प्रदूषित हवा में पनपती गंभीर बीमारियां

पर्यावरण प्रदूषण से ना सिर्फ सांस लेने में तकलीफ होती है बल्कि इससे टेंशन, डिप्रेशन, डायबीटीज और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। स्टडी के अनुसार, साल 2017 में वायु प्रदूषण से करीब 12.4 लाख मौतें हुईं। साथ ही  यातायात संबंधी प्रदूषण की वजह से बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है और यह कई तरह के मानसिक विकारों को जन्म देता है। इसके अलावा प्रदूषण से मिसकैरेज का भी खतरा रहता है।

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पर्यावरण प्रदूषण से गले व आंखों में इरिटेशन

लगातार बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण फेफड़ों के साथ-साथ आंखों व गले में इरिटेशन का कारण भी बन रहा है। दरअसल, पर्यावरण प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कारक फेफड़ो, आंखों, स्किन और गले को नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा इससे छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

-फैक्टरी और कारखानों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इस धुएं में मौजूद एसपीएम यानी सस्पेंडेड पार्टिक्युलेट मैटर, सीसा और नाइट्रोजन ऑक्साइड पर्यावरण को दूषित करने से साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ाते हैं।

-पर्यावरण दूषित होने की दूसरी सबसे बड़ी वजह है कूड़ा-कर्कट। जगह-जगह कूड़ा जलाए जाने और फेंकने से कई हानिकारक गैसें उत्पन्न होती हैं और स्वच्छ हवा के साथ मिलकर उसे जहरीला बना देती हैं। 

-फैक्टरियों, कारखानों से निकलने वाला कचरा नदियों में बहा दिया जाता है। गंदे नालों से निकलने वाला पानी नदियों में मिलकर उसे प्रदूषित बना देता है। यही प्रदूषित पानी कई डायरिया, टाइफॉइड और हैजा जैसी बीमारियां फैल जाती हैं।

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प्रदूषण से बचने के लिए बरतें सावधानियां

-घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें और अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
-थोड़ी-थोड़ी देर बाद पानी पीते रहें, ताकि शरीर हाइड्रेटिड रहें और प्रदूषण से नुकसान न हो।
-घर से बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं, जिससे कि वह प्रदूषण से होने वाली इरिटेशन से बची रहें।
-अगर आप सांस के मरीज हैं तो अपने साथ हमेशा इन्हेलर रखें।
-घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि घर की हवा दूषित न हो।
-गीला कचरा और सूखा कचरा अलग डस्टबिन में डालें। फल, सब्जियों या ऐसी चीजें जो रीसाइकल हो सकें उन्हें हरे कूड़ेदान में डालें और प्लास्टिक, कांच, पॉलीथीन जैसी चीजें नीले रंग के कूड़ेदान में डालें।
-गाड़ी, घर या अन्य चीजों की साफ-सफाई के लिए खतरनाक केमकिल आधारित उत्पादों की जगह इको-फ्रेंडली उत्पाद इस्तेमाल करें।

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