नारी डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप IVF (In Vitro Fertilization) तकनीक की सुविधा को बढ़ावा देने और इसके लिए अधिक पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दे रहे हैं। वह एक Executive Order (कार्यकारी आदेश) पर भी हस्ताक्षर कर चुके हैं, जिसके तहत IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) को नि:संतान दंपतियों के लिए मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य है कि जो दंपति आर्थिक कारणों से IVF इलाज नहीं करवा पा रहे थे, उन्हें अब ये सुविधा सरकारी मदद से बिना शुल्क के मिल सके।
ट्रंप का क्या है उद्देश्य
ट्रंप का कहना है कि उनका उद्देश्य परिवारों की मदद करना है, खासकर उन लोगों की जो प्राकृतिक रूप से संतान नहीं प्राप्त कर सकते। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि हर परिवार को संतान प्राप्ति का अधिकार मिले, और इसके लिए IVF जैसी तकनीकों को और अधिक सुलभ बनाया जाए। वहीं दूसरे तरफ अमेरिका में प्रजनन स्वास्थ्य और महिलाओं के अधिकारों को लेकर बहस तेज है। IVF क्लिनिक पर हुए एक हमले ने भी इस विषय को केंद्र में ला दिया था।
सभी को समान अवसर देने की कोशिश
ट्रंप ने कहा कि हर व्यक्ति को मां या पिता बनने का अधिकार है, और किसी को सिर्फ पैसों की कमी की वजह से इससे वंचित नहीं रहना चाहिए। इस आदेश के तहत सरकार IVF इलाज में होने वाले खर्च को कवर करेगी, जिससे कम आय वर्ग के लोग भी इसका लाभ उठा सकेंगे। कई महिलाएं और दंपति हार्मोनल समस्याओं, बढ़ती उम्र, जीवनशैली और अन्य स्वास्थ्य कारणों की वजह से प्राकृतिक रूप से संतान उत्पन्न नहीं कर पाते। ऐसे में IVF उनके लिए एक आशा की किरण बनती है।
IVF क्या है?
IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है, और फिर उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह एक आधुनिक चिकित्सा तकनीक है जो उन दंपतियों की मदद करती है जो प्राकृतिक तरीके से संतान प्राप्त नहीं कर सकते।
IVF क्यों करवाया जाता है?
IVF की जरूरत तब पड़ती है जब महिला की फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो, पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या कम हो, बार-बार गर्भपात हो रहा हो या फिर कारण स्पष्ट न हो, लेकिन सालों से संतान न हो पाई हो
IVF की पूरी प्रक्रिया – स्टेप बाय स्टेप
-महिला को ऐसी दवाएं दी जाती हैं जिससे उसके एक बार में कई अंडे (eggs) बन सकें।
-जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तो डॉक्टर उन्हें सर्जरी की मदद से बाहर निकाल लेते हैं
-पुरुष के वीर्य (semen) से स्वस्थ शुक्राणु (sperm) लिए जाते हैं।
-इन अंडों को लैब में शुक्राणुओं के साथ मिलाया जाता है ताकि भ्रूण (Embryo) बन सके।
-जब भ्रूण बन जाता है (3-5 दिन बाद), तो डॉक्टर इसे महिला के गर्भाशय (uterus) में डाल देते हैं।
-लगभग 10-14 दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाता है यह जानने के लिए कि भ्रूण गर्भ में जुड़ पाया है या नहीं।