नारी डेस्क: धनतेरस 2025 केवल धन-संपत्ति और खरीदारी का पर्व नहीं है, बल्कि यह दीपावली की शुरुआत और यमराज की पूजा का विशेष दिन भी है। इस दिन किया गया “यम दीपदान” न सिर्फ पारंपरिक रूप से शुभ माना जाता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से यह अकाल मृत्यु से रक्षा और दीर्घायु का प्रतीक भी है। आइए जानते हैं धनतेरस पर यम दीपदान का महत्व, इसका शुभ मुहूर्त, सही विधि और वे पवित्र मंत्र जिन्हें जाप करने से यमराज की कृपा प्राप्त होती है।
क्या होता है यम दीपदान?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, यमराज मृत्यु के देवता हैं। धनतेरस की शाम को यमराज के नाम पर दीपक जलाने की परंपरा बहुत प्राचीन है। मान्यता है कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति यमराज के नाम से दीपदान करता है, तो उसके घर में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और परिवार के सभी सदस्य दीर्घायु और स्वस्थ रहते हैं। यह दीपदान यमराज को प्रसन्न करने का एक धार्मिक उपाय है, जो सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खोलता है।
यम दीपदान कब करें? (शुभ मुहूर्त 2025)
धनतेरस के दिन, 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को सायंकाल 5:48 बजे से 7:04 बजे तक यम दीपदान का सबसे शुभ समय रहेगा। यह वही अवधि है जब त्रयोदशी तिथि का संयोग संध्या काल में होता है जिसे दीपदान काल कहा गया है। इस मुहूर्त में यमराज के नाम पर दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस समय के बाद दीपदान करने से फल में कमी आ सकती है।
कहां और कितने दीए जलाने चाहिए?
यम दीपदान करते समय दीयों को घर के मुख्य द्वार के बाहर, दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। इस पूजा में चार दीपक जलाने की परंपरा बताई गई है
पहला दीपक - यमराज के लिए।
दूसरा दीपक - चित्रगुप्त के लिए, जो हमारे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।
तीसरा और चौथा दीपक - यमदूतों के लिए, जो यमराज के संदेशवाहक हैं।
इन दीपकों में तिल के तेल का प्रयोग और रुई की बाती का उपयोग करना चाहिए। दीप जलाते समय मन में श्रद्धा, शुद्धता और निस्वार्थ भाव होना आवश्यक है।
यम दीपदान का मंत्र
यमराज को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप करते हुए दीप जलाना अत्यंत शुभ माना गया है
मूल मंत्र
मृत्युनाऽ पाशहस्तेन कालेन भार्या सह।
त्रयोदशीं दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥
अर्थ: जो मृत्यु रूप में पाश (फंदा) धारण किए हुए हैं, जो काल स्वरूप यमराज हैं और अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं, वे धनतेरस की त्रयोदशी तिथि पर किए गए इस दीपदान से प्रसन्न हों।
दूसरा मंत्र
धनत्रयोदश्यां रात्रौ यमदीपं प्रज्वालयेत्। दीपदानं तु यं कृत्वा न यमदर्शनं भवेत्॥
अर्थ: जो व्यक्ति धनतेरस की रात यमराज के नाम पर दीपक जलाता है, उसे मृत्यु के बाद यमलोक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते। यह दीपदान अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
धनतेरस पर यमराज की कृपा पाने का रहस्य दीपदान करते समय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित हों। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज से आशीर्वाद की प्रार्थना करें। दीपक बुझने न दें यह शुभ संकेत माना जाता है। पूजा के बाद घर में प्रसन्नता और सौहार्द का वातावरण बनाएं।
धनतेरस का यम दीपदान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा और शांति का प्रतीक है। जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा और विधि से यमराज के नाम दीपदान करता है, उसे लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख का आशीर्वाद मिलता है।