22 NOVFRIDAY2024 4:08:48 AM
Nari

पेरेंट्स की ये बातें बच्चों का सेल्फ कॉन्फिडेंस कर देते हैं डाउन, आप तो नहीं कर रहे ये गलती?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 07 Jun, 2024 02:45 PM
पेरेंट्स की ये बातें बच्चों का सेल्फ कॉन्फिडेंस कर देते  हैं डाउन, आप तो नहीं कर रहे ये गलती?

भारतीय माता-पिता को खुश कर पाना हर बच्चे के लिए बहुत मुश्किल काम है। आपने भी अपने माता-पिता को कभी न कभी तो यह कहते सुना ही होगा कि 'तुम  बाकी बच्चों की तरह होशियार नहीं हो' या 'उनके किसी रिश्तेदार के बेटे या बेटी की तरह तुमने क्लास में टॉप क्यों नहीं किया।' आमतौर पर अभिभावकों को अपने बच्चों से ये शिकायतें आम होती हैं। जब बच्चे अच्छा प्रदर्शन करते भी हैं, तो माता-पिता उनकी हासिल की हुई उपलब्धि की प्रशंसा करने की बजाय उन पर और ज्यादा मेहनत करने का दबाव डालते हैं। 

PunjabKesari

बच्चों पर डाला जाता है दबाव

जब परीक्षा में किसी बच्चे के 80 प्रतिशत अंक आते हैं तो माता-पिता को 100 प्रतिशत की आशा रहती है और इस चक्कर में वे अपने बच्चों को प्रोत्साहित करना भूल जाते हैं। वास्तव में भारतीय माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे हर चीज में बढ़िया प्रदर्शन करें और इस कारण बच्चों मेंआत्मविश्वास की कमी और तनाव पैदा होने लगता है। इसका एक कारण यह भी है कि अभिभावकों को यह डर रहता है कि कहीं उनके बच्चे प्रतिस्पर्धा में पीछे न रह जाएं।

PunjabKesari

अपने सपने बच्चों पर थोपते हैं माता-पिता

वहीं दूसरी ओर जो माता-पिता खुद अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते, वे चाहते हैं कि उनके बच्चे उनके सपनों को पूरा करें। जैसे यदि कोई व्यक्ति गायक बनना चाहता है और किसी कारणवश वह ऐसा नहीं कर पाता, तो वह चाहता है कि उसकी जगह उसका बच्चा गायक बन कर उसका सपना पूरा करे। अभिभावकों की ऐसी सोच के कारण बच्चों के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान में कमी आने लगती है।

PunjabKesari

 बच्चों की असली प्रतिभा नहीं पहचान पाते  पेरेंट्स

भारत में ऐसे अभिभावकों की संख्या बहुत ज्यादा है और इसी कारण युवाओं में सबसे अधिक तनाव भी देखा जाता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि बचपन में अभिभावकों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होता है। जब माता-पिता हर रोज बच्चों को उनकी पढ़ाई या करियर के लिए टोकने या ताने मारने लगते हैं तो बच्चों पर उसका बुरा असर पड़ता है। अभिभावक बच्चों की मेहनत से ज्यादा उनके परिणाम पर ध्यान देते हैं, जबकि अभिभावकों को भी अपने बच्चों की असली प्रतिभा को पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि उन्हें ऐसी चीजों के लिए परेशान करना, जो उनकी रुचि से बाहर हों। आपको यह बात समझ लेनी चाहिए कि सभी बच्चे एक समान नहीं होते और सभी बच्चों की क्षमता अलग-अलग होती है।

Related News