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नेपाल में हिंसा के बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भारत को लेकर जताई चिंता और कही ये बात...

  • Edited By Monika,
  • Updated: 12 Sep, 2025 11:16 AM
नेपाल में हिंसा के बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भारत को लेकर जताई चिंता और कही ये बात...

नारी डेस्क : नेपाल में हाल ही में भड़की हिंसा और सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने पूरे दक्षिण एशिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इसी बीच, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गहरी चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि भारत को भी इस घटना से सबक लेकर सतर्क रहना चाहिए, वरना यहां भी ऐसी ही स्थिति पैदा हो सकती है।

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गौ हत्या को बताया विद्रोह की वजह

शंकराचार्य ने कहा कि नेपाल में जो विद्रोह और हिंसक प्रदर्शन हुए, उनकी सबसे बड़ी वजह गौ हत्या रही। उन्होंने बताया कि वहां लगातार गौ हत्या हो रही थी और लोग इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे थे। जब लोग इन वीडियो को देख रहे थे तो उनके मन में पाप बोध जागा और समाज में गुस्सा फैल गया। शंकराचार्य के अनुसार, जब नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया तो लोगों का गुस्सा और बढ़ गया। इसके बाद वहां के लोगों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया और सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया।

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भारत को भी सतर्क रहने की सलाह

उन्होंने कहा कि नेपाल भारत के लिए एक तरह का सुरक्षा कवच था। नेपाल के चौकीदारों की वजह से भारत सुरक्षित रहता था, लेकिन अब नेपाल के साथ भारत के संबंध कमजोर हो गए हैं। गोरखा रेजीमेंट का जिक्र करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि गोरखा सैनिक भारत की सेना में एक अहम भूमिका निभाते हैं और वे गौ रक्षक भी माने जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत इस घटना से कोई सबक लेगा? इस पर शंकराचार्य ने कहा कि भारत अक्सर ऐसी घटनाओं से सबक नहीं लेता, जब तक कि खुद बड़ी चोट न खा ले।उन्होंने आशंका जताई कि अगर भारत ने समय रहते सावधानी नहीं बरती, तो यहां भी विद्रोह जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

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नेपाल में मौजूदा स्थिति

नेपाल में सरकार विरोधी आंदोलन तेज है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे Gen-Z समूह (1997 से 2012 के बीच जन्मे युवा) ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने की मांग रखी है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल शुक्रवार सुबह उन्हें नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं। गुरुवार आधी रात को आंदोलनकारी नेताओं, सेना प्रमुख और राष्ट्रपति के बीच लंबी वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। हालांकि माना जा रहा है कि जल्द ही नेपाल में नई सरकार बनेगी और चुनाव कराए जाएंगे। 

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