दुनियाभर में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। जिसका मकसद्द भूमि प्रदूषण को रोकना है। दरअसल, विश्व के ऐसे कई हिस्से हैं जहां की उपजाऊ मिट्टी बंजर होती जा रही है। इसके पीछे की वजह किसानों द्वारा मिट्टी में केमिकल खाद और कीटनाशक दवाईयों का इस्तेमाल करना है। जिस कारण मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने लगती है। मिट्टी की सुरक्षा के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
क्या है विश्व मिट्टी दिवस का इतिहास
विश्व मिट्टी दिवस मनाने का एक कारण यह भी है कि इस दिन थाइलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज का जन्मदिन होता है। थाइलैंड पर राजा भूमिबोल ने 70 साल तक शासन किया था। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपने शासन के दौरान कृषि पर खास ध्यान दिया करते था। यहां तक कि अपने देश के हर गरीब व्यक्ति और किसान से राजा भूमिबोल मुलाकात कर उनकी समस्या को सुलझाने का प्रयास करते थे।
जानिए विश्व मिट्टी दिवस का महत्व
जिंदगी जीने के लिए भोजन, कपड़े, आश्रय, पानी के साथ मिट्टी का भी काफी महत्व है क्योंकि भूमि ही हमें भोजन देती है। प्रदूषण, लगातार बढ़ रही जंनसख्या और खेती में केमिकलों के इस्तेमाल का असर पर्यावरण और सेहत के साथ-साथ मिट्टी पर भी पड़ रहा है। नतीजन, देश की उपजाऊ मिट्टी की क्वालिटी खराब होती जा रही है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड
भोजन में 95% हिस्सेदारी मिट्टी की होती है और फिलहाल विश्व की संपूर्ण मिट्टी का 33% पहले हिस्सा पहले से ही बंजर या खराब हो चुका है। वहीं, जरूरी पोषक तत्व फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटाश और माइक्रोन्यूट्रेएंट्स में गड़बड़ी के कारण मिट्टी की सेहत भी लगातार गिर रही है। हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार ने 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड' की योजना शुरू की है, जिसमें खेतों की जांच करने के बाद किसानों को पोषक तत्वों की तय मात्रा इस्तेमाल करने को कहा जाता है।