नारी डेस्क: भारत की चोटी की बैडमिंटन खिलाड़ी और पूर्व ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल ने खुलासा किया है कि वह गठिया (Arthritis) से जूझ रही हैं और उन्हें इस साल के अंत तक इस खेल में अपने भविष्य के बारे में फैसला करना होगा क्योंकि इस बीमारी के कारण उनके लिए सामान्य दिनों की तरह अभ्यास करना मुश्किल हो गया है। विश्व की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी 34 वर्षीय नेहवाल ने लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीता था।
नेहवाल ने बताया अपना हाल
तीन बार ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली नेहवाल ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनी थी। स्वर्ण पदक विजेता ने कहा कि वह अब इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं कि उनका करियर अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा- ‘‘मेरे घुटने की स्थिति अच्छी नहीं है। मुझे गठिया है। मेरा कार्टिलेज खराब हो गया है। ऐसे में आठ-नौ घंटे तक खेल से जुड़े रहना बहुत मुश्किल है।''नेहवाल ने कहा-‘‘ऐसी स्थिति में आप दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को कैसे चुनौती देंगे। मुझे किसी न किसी स्तर पर इसे स्वीकार करना होगा क्योंकि शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए दो घंटे का अभ्यास पर्याप्त नहीं है।''
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महिलाओं में आर्थराइटिस बढ़ने के कारण
आर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है जो काफी परेशान करती है। पुरुषों की तुलना में आर्थराइटिस (Arthritis) महिलाओं के लिए ज्यादा जोखिम भरा होता है। उनके जोड़ों में अक्सर दर्द बना रहता है, जिसके कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं आखिर पुरुषों की बजाय महिलाओं के लिए क्यों गंभीर है ये बीमारी।
हार्मोनल अंतर: महिलाओं में एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन होते हैं, जो इम्यून सिस्टम पर प्रभाव डालते हैं। यह गठिया जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों की संभावना बढ़ा सकता है और लक्षणों को अधिक गंभीर बना सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली: महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली पुरुषों की तुलना में अधिक सक्रिय होती है, जिससे ऑटोइम्यून रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इससे गठिया के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं।
जीवनशैली और सामाजिक कारण: महिलाएं अक्सर परिवार की देखभाल करती हैं, जो उनके लिए तनाव और शारीरिक काम को बढ़ा सकता है। इस कारण से, उनके गठिया के लक्षणों में भी वृद्धि हो सकती है।
उम्र: महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलाव के कारण भी गठिया के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
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आर्थराइटिस से बचाव के तरीके
संतुलित आहार
ओमेगा-3 फैटी एसिड (जैसे मछली, अखरोट, अलसी), फल, सब्जिया, और साबुत अनाज खाने से सूजन कम होती है। हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए दूध, दही, पनीर, और सूरज की रोशनी में समय बिताना फायदेमंद है।
नियमित व्यायाम
योग, तैराकी, साइकिलिंग, और चलना जोड़ों को लचीला बनाए रखते हैं और उनकी ताकत को बनाए रखते हैं। स्वस्थ वजन बनाए रखना जोड़ों पर दबाव कम करता है।
ध्यान और मेडिटेशन
यह मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है, जो आर्थराइटिस के लक्षणों को बढ़ा सकता है। पर्याप्त नींद और आराम शरीर को ठीक होने का समय देते हैं।
मेडिकल चेकअप
समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर स्वास्थ्य की जांच कराते रहें, ताकि किसी भी प्रारंभिक संकेत को समय रहते पहचाना जा सके।
अगर किसी विटामिन या मिनरल की कमी हो तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लेना चाहिए। इन उपायों से महिलाएं आर्थराइटिस के जोखिम को कम कर सकती हैं और अपने जोड़ों को स्वस्थ रख सकती हैं।