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ईशा फाउंडेशन स्कूल में नाबालिग के साथ छेड़छाड़, POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 23 Apr, 2025 05:30 PM
ईशा फाउंडेशन स्कूल में नाबालिग के साथ छेड़छाड़, POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज

नारी डेस्क: तमिलनाडु पुलिस ने कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन द्वारा संचालित एक स्कूल के चार कर्मचारियों और एक पूर्व छात्र के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज की है। यह मामला एक बच्चे की मां की शिकायत पर दर्ज किया गया है जो 2017 और 2019 के बीच उस स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। शिकायत के अनुसार, बच्चे के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की गई थी।

ईशा फाउंडेशन का बयान

ईशा फाउंडेशन ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि स्कूल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। फाउंडेशन का कहना है कि 2019 में इसी मामले में आरोप लगाए गए थे, जिनकी जांच की गई थी और इसका समाधान भी किया गया था। फाउंडेशन ने यह भी बताया कि इस मामले में यह सिर्फ बदमाशी का मामला था, जिसके कारण आरोपी छात्र को माइग्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया गया था।

मां का आरोप और शिकायत का विवरण

मां ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके बच्चे के साथ एक सहपाठी ने बार-बार छेड़छाड़ की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चे को इस बारे में अपने माता-पिता को न बताने की धमकी दी गई थी, लेकिन बच्चे ने स्कूल के नॉमिनेट 'हाउस पैरेंट्स' निशांत कुमार और प्रीति कुमार, प्रिंसिपल प्रकाश सोमयाजी और जनरल कॉर्डिनेटर स्वामी विभु को इस बारे में बताया था।

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शिकायत के बाद स्कूल का व्यवहार

फाउंडेशन ने कहा कि शिकायतकर्ता परिवार ने घटना के बाद कई सालों तक स्कूल से जुड़ा रखा। उन्होंने अपने बड़े बच्चे को तीन साल तक स्कूल में पढ़ने दिया, शिक्षकों से सिफारिशी पत्र भी लिया और बाद में स्कूल छोड़ने पर एक पॉजिटिव लेटर भी दिया। इसके बावजूद, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके बच्चे के 'प्राइवेट पार्ट्स को छुआ गया', और आरोपी ने बच्चे को कपड़े उतारकर भागने की धमकी दी।

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POCSO एक्ट के तहत FIR

एफआईआर में मां ने यह भी कहा कि जब उन्होंने स्कूल को तुरंत फोन किया, तो दो दिन तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जब उन्होंने स्कूल को मैसेज किया कि अगर कोई जवाब नहीं आया तो वे पुलिस के पास जाएंगी तब भी स्कूल ने कोई सार्थक जवाब नहीं दिया। मां का आरोप था कि यह इसलिए हुआ क्योंकि आरोपी छात्र एक एलीट फैमिली से था।

मां ने यह भी कहा कि स्कूल ने उन्हें पुलिस के पास जाने से रोका और आरोप लगाया कि यदि पीड़ित लड़की होती तो कार्रवाई की जाती।

एफआईआर में नामजद आरोपी

12 दिसंबर 2024 को शिकायत दर्ज की गई थी और 31 जनवरी 2025 को POCSO एक्ट की धारा 9(1), 10 और 21(2) के साथ आईपीसी की धारा 342 के तहत FIR दर्ज की गई। इस FIR में छात्र, निशांत कुमार, प्रीति कुमार, प्रकाश सोमयाजी और स्वामी विभु का नाम शामिल है।

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शिकायतकर्ता का अनुभव

इंडिया टुडे से बातचीत में मां ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु पुलिस ने एफआईआर की कॉपी देने में 60 दिन की देरी की और कहा कि उन्हें अहमदाबाद में पढ़ रहे अपने बच्चे को व्यक्तिगत रूप से लाना होगा। इसके बाद 17 मार्च को उन्हें समन मिला, लेकिन दूरी के कारण वे नहीं जा सके। अंततः 28 मार्च को वे मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुए, जहां उनका बयान दर्ज किया गया।

मां ने यह भी दावा किया कि एक बार उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ एक कमरे में बंद कर दिया गया था, जहां उन्हें खुद को दोषी ठहराने के लिए दबाव डाला गया। यह सब सिर्फ कार्यकर्ताओं की उपस्थिति के कारण ही संभव हो पाया कि वह वहां से बाहर निकल सकी। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार को ऑनलाइन बदनामी और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।

ईशा फाउंडेशन का जवाब

ईशा फाउंडेशन ने कहा कि शिकायतकर्ता का बड़ा बच्चा स्कूल के ग्रेजुएट होने के बाद 2022 में वॉलंटियर के रूप में स्कूल से जुड़ा था, लेकिन उनके आचरण पर छात्रों, अभिभावकों और कर्मचारियों से शिकायतें मिलने के बाद मार्च 2024 में उनका जुड़ाव खत्म कर दिया गया। फाउंडेशन ने यह भी आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता अब यौन उत्पीड़न के झूठे आरोपों के जरिए स्कूल और आश्रम को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। फाउंडेशन ने कानूनी कार्रवाई की भी घोषणा की है।
 

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