
नारी डेस्क: जब तिरंगे में लिपटा एक वीर सपूत अपने गांव मेहरादासी वापस लौटा, तो जीत का जश्न नहीं, बल्कि गम और गर्व का सैलाब उमड़ पड़ा। भारतीय वायुसेना के असिस्टेंट मेडिकल सार्जेंट सुरेंद्र कुमार की पार्थिव देह जब गांव पहुंची, तो हर आंख नम थी और हर दिल भरा हुआ।
उधमपुर में पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद
सुरेंद्र कुमार की तैनाती जम्मू-कश्मीर के उधमपुर एयरबेस पर थी। शनिवार सुबह पाकिस्तान की ओर से हुई अकारण फायरिंग में वह शहीद हो गए। इस खबर ने उनके परिवार के साथ-साथ पूरे जिले को हिला कर रख दिया।
अंतिम दर्शन में टूट गया परिवार
जैसे ही उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, मातम छा गया। मां अपने बेटे को देखकर बेहोश हो गईं। पत्नी सीमा अपने पति के शव से लिपटकर फूट-फूटकर रोती रहीं। मासूम बच्चे, जो शायद अभी "मौत" का मतलब भी नहीं समझते, डर और दुख से मां से लिपटकर रोते रहे। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं।
बेटी की आंखों में आंसू, पर लहजे में जज़्बा
जब मीडिया ने सुरेंद्र कुमार की छोटी बेटी से बात की, तो उसके शब्दों ने सबको झकझोर दिया। उसने दृढ़ता से कहा – “मैं अपने पापा का पाकिस्तान से चुन-चुन कर बदला लूंगी।” उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन उसकी आवाज़ में वो जज़्बा था जो किसी सच्चे सैनिक की संतान में ही हो सकता है।
पूरे गांव ने दी सच्चे सपूत को सलामी
शहीद की अंतिम यात्रा में पूरा गांव शामिल हुआ। “भारत माता की जय” “सुरेंद्र कुमार अमर रहें” जैसे नारों से गांव गूंज उठा। हर हाथ सलाम के लिए उठा और हर दिल में गर्व की भावना थी। सुरेंद्र कुमार अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका बलिदान, उनका साहस, और उनकी बेटी की वह बात – ये सब हमेशा हमें याद रहेंगे।