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मकर संक्रांति 2025: जानें खिचड़ी पर्व के पीछे की परंपरा और मान्यताएं

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 14 Jan, 2025 10:21 AM
मकर संक्रांति 2025: जानें खिचड़ी पर्व के पीछे की परंपरा और मान्यताएं

नारी डेस्क: मकर संक्रांति 2025 का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे उत्तरायण की शुरुआत माना जाता है। इस अवसर पर सूर्य पूजा, स्नान, दान और शुभ मुहूर्त का पालन करके सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति की जा सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं मकर संक्रांति के महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और दान के विषय में।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण की शुरुआत के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे पुण्यकारी दिन के रूप में जाना जाता है। इस दिन से सूर्यदेव की गति उत्तरी दिशा की ओर होती है, जो जीवन में सुख और उन्नति के संकेत मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाने और खाने का प्रचलन है, जिससे इसे कई क्षेत्रों में "खिचड़ी पर्व" के नाम से भी जाना जाता है।

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मकर संक्रांति 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जा रहा है।

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: प्रातः 09:03 बजे

पुण्यकाल का समय: सुबह 08:40 से दोपहर 12:30 बजे तक

महापुण्यकाल: सुबह 08:40 से 09:04 बजे तक

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इन शुभ समयों में स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है। महापुण्यकाल में सूर्य देव को अर्घ्य देना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

मकर संक्रांति पूजा विधि

सुबह जल्दी उठें: मकर संक्रांति की पूजा के लिए प्रभात वेला में उठकर स्नान करें।

घर की सफाई: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और दीपक लगाएं।

पवित्र नदी में स्नान: यदि संभव हो, तो गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें।

सूर्य देव को अर्घ्य दें: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

मंत्र जाप और दान करें: सूर्य मंत्र का जाप करें और तिल, गुड़, वस्त्र या अन्य सामग्री का दान करें।

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मकर संक्रांति पर दान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन तिल, गुड़, वस्त्र, अन्न और दक्षिणा का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से तिल और गुड़ का दान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि बिना दान के मकर संक्रांति का पूरा लाभ प्राप्त नहीं होता।

प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह स्थान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम के रूप में प्रसिद्ध है। लाखों श्रद्धालु यहां स्नान, तप और दान करते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां महाकुंभ मेला भी आयोजित होता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मकर संक्रांति का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा, पवित्र स्नान, दान और शुभ मुहूर्त का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन का सही तरीके से पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
 

 

 

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