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यहां महिलाएं नहीं रखती करवा चौथ व्रत, वजह 200 साल पुराना श्राप

  • Edited By neetu,
  • Updated: 21 Oct, 2021 05:54 PM
यहां महिलाएं नहीं रखती करवा चौथ व्रत, वजह 200 साल पुराना श्राप

करवाचौथ का पर्व महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन वे पूरा दिन भूखे-प्यासे रहती हुई पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है। रात को चंद्रोदय के बाद चांद देखकर व पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती है। मान्यता है कि इससे उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।  ऐसे में देशभर में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव भी है जहां पर करवाचौथ व्रत नहीं रखती है। कहते हैं कि महिलाओं द्वारा व्रत रखने पर उनके पति की जान पर खतरा हो सकता है। माना जाता है कि एक श्राप के कारण वहां के महिलाओं को यह व्रत रखने की मनाही है।

पति की सलामती के लिए महिलाएं नहीं रखती व्रत

उत्तर प्रदेश के मथुरा में जय विजउ गांव में पिछले 200 साल से महिलाएं करवाचौथ का व्रत नहीं रख रही है। कहा जाता है कि अगर कोई महिला गलती से भी इस व्रत को रख लें तो उसके पति की जान को खतरा हो सरकता है।

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नवविवाहितमहिला द्वारा दिया गया था श्राप

प्रचलित कथा अनुसार, आज से करीब 200 साल पहले नवविवाहित ब्राह्मण और उसकी पत्नी करवा चौथ के दिन जय विजउ गांव से गुजर रहे थे। उस समय गांव के लोगों ने ब्राह्माण पर उनकी भैंस चुराने का आरोप लगा दिया था। इस जुर्म के कारण गांव वालों ने मिलकर खूब मारा था। इसके कारण उस आदमी की मौत हो गई थी। तब पति की मौत से दुखी होकर नवविवाहिता ने श्राप देते हुए कहा कि अगर इस गांव की कोई भी महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेगी तो उसके पति की मौत हो जाएगी। श्राप देने के बाद वह महिला खुद भी पति की चिता में समा कर जिंदा ही जल कर सती हो गई यानि मर गई।

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200 साल से नहीं रखा जा रहा व्रत

बता दें, उस घटना के बाद जय विजउ गांव की महिलाओं द्वारा व्रत रखने की परंपरा बंद हो गई। इसके अलावा जिस महिला ने करवाचौथ का व्रत रखा उसके पति को किसी ना किसी अनहोनी का सामना करना पड़ा। उस दिन से वहां कि महिलाएं ये व्रत नहीं रख रही है।  

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पति द्वारा दिया सिंदूर भी नहीं लगाती

कहा जाता है कि करवाचौथ के दिन इस गांव के लोग सती मंदिर में पूजा करने जाते हैं। यहां के पुरुष शादी पहले भी सती मंदिर में आकर देवी मां की पूजा व उनसे प्रार्थना करते हैं। मगर पत्नियां पति द्वारा या उनके हाथों से सिंदूर तक नहीं लगवाती है। ऐसे में महिलाएं खुद सिंदूर खरीदकर लगाती है। साथ ही महिलाएं इस गांव से सिंदूर खरीदे की जगह पर अपने मायके से लाया हुआ सिंदूर मांग में भरती है। इसके साथ अगर किसी महिला ने इस मान्यता को ना मानकर व्रत रखा तो उसके पति की किसी रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई।

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