नारी डेस्क: दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हर साल पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन रावण का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। इस पर्व के साथ एक खास मिठाई, जलेबी, का सेवन करने की परंपरा भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा का पौराणिक महत्व क्या है?
जलेबी और भगवान श्रीराम का प्रेम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम को शशकुली नामक मिठाई बहुत पसंद थी, जो आज जलेबी के नाम से जानी जाती है। कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण पर अपनी विजय का जश्न जलेबी खाकर मनाया था। तभी से दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा शुरू हुई। रावण के दहन के बाद, लोग जलेबी से मुंह मीठा करके भगवान राम की विजय का उत्सव मनाते हैं।
जलेबी और फाफड़े का संयोजन
दशहरे पर जलेबी के साथ फाफड़ा खाने की परंपरा भी प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के प्रिय भक्त हनुमान जी उनके लिए फाफड़ा और जलेबी बनाते थे। इसीलिए, दशहरे पर व्रत समाप्त करने के बाद जलेबी और फाफड़ा का सेवन करना शुभ माना जाता है। यह मान्यता है कि इससे भगवान राम प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं।
जलेबी के स्वास्थ्य लाभ
1. तनाव और चिंता में राहत जलेबी की मिठास मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती है। इससे मन को शांति मिलती है।
2. ऊर्जा का स्रोत जलेबी में उच्च मात्रा में शुगर होती है, जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। यह खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो लंबे समय तक काम करते हैं।
3. वजन बढ़ाने में मदद जिन लोगों को दुबलेपन की समस्या है, वे जलेबी का सेवन करके अपने वजन को बढ़ा सकते हैं।
4. सिरदर्द में राहत जलेबी का सेवन सिरदर्द की समस्या को भी दूर कर सकता है, जिससे आपको तुरंत आराम मिलता है।
दशहरे पर जलेबी की विशेषता
दशहरे के दिन विशेष रूप से गर्म-गर्म जलेबियों का आनंद लिया जाता है। लोग इसे घर पर बनाने के अलावा, स्थानीय मिठाई की दुकानों से भी खरीदते हैं। जलेबी के साथ गर्म चाय का सेवन करना इस पर्व को और भी खास बना देता है।
इस दशहरे, जब आप रावण के प्रतीकात्मक दहन को देखेंगे, तो साथ ही जलेबी का स्वाद लेना न भूलें। यह सिर्फ एक मिठाई नहीं है, बल्कि यह भगवान राम के प्रति आपकी श्रद्धा और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पर्व का आनंद लेने के साथ-साथ जलेबी के स्वाद और इसके पीछे की पौराणिक कहानियों का भी आनंद लें।
इस प्रकार, दशहरा न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा की मिठास का भी प्रतिनिधित्व करता है।