
नारी डेस्क: अब तक यही माना जाता था कि एक बार डायबिटीज हो जाए तो यह जीवन भर साथ रहती है और इसे सिर्फ दवा, व्यायाम और जीवनशैली सुधारकर नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन एम्स नई दिल्ली ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। एम्स के सर्जरी विभाग ने अनियंत्रित टाइप-2 डायबिटीज का स्थायी इलाज खोज लिया है। दावा है कि एक विशेष सर्जरी के माध्यम से मरीजों को इस बीमारी से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।
AIIMS का सफल प्रयोग
एम्स सर्जरी विभाग ने पिछले सवा साल में 30 ऐसे मरीजों की मेटाबोलिक सर्जरी की है जिनका शुगर लेवल 3–4 दवाइयों और जीवनशैली बदलने के बावजूद नियंत्रित नहीं हो रहा था। विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मंजुनाथ के अनुसार, सिर्फ शुगर को दवा से कंट्रोल रखना इलाज नहीं, बल्कि डायबिटीज से होने वाले बड़े नुकसान जैसे हार्ट और किडनी फेल्योर को रोकना असली उपचार है।

कैसे करती है यह मेटाबोलिक सर्जरी काम?
यह सर्जरी मोटापा और डायबिटीज, दोनों को एक साथ टारगेट करती है। इसमें पेट का आकार कम करके उसे सिलेंडर शेप दिया जाता है। पेट को छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है, जिससे भोजन सीधे आंत में पहुंचता है। इससे GLP-1 हार्मोन बनता है, जो इंसुलिन बढ़ाता है और ब्लड शुगर, ट्राइग्लिसराइड्स व लिपिड प्रोफाइल को सामान्य करता है। इसी प्रक्रिया से डायबिटीज धीरे-धीरे पूरी तरह खत्म हो जाती है।
कौन करा सकता है यह सर्जरी?
सर्जरी हर मरीज के लिए नहीं है। यह केवल उन मरीजों के लिए है। जिनकी टाइप-2 डायबिटीज 8–10 साल पुरानी है 2 साल से डाइट, एक्सरसाइज और 3–4 दवाइयों के बावजूद शुगर कंट्रोल में नहीं है। जिनका HbA1c लगातार 8 से ऊपर है।
किन पर असर नहीं होता?
जिन्हें 20–25 साल से डायबिटीज है।जो लंबे समय से हाई इंसुलिन डोज पर हैं। इस स्थिति में अग्नाशय की कोशिकाएं खत्म हो चुकी होती हैं, इसलिए सर्जरी कारगर नहीं रहती।

वैश्विक स्तर पर मान्यता
अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन (IDF) और ग्लोबल गाइडलाइंस 2016 भी इस मेटाबोलिक सर्जरी को टाइप-2 डायबिटीज के प्रभावी इलाज के तौर पर मानते हैं।