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बच्चे को रखना है एलर्जी से दूर, तो बचपन से ही खिलाएं मूंगफली

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 10 Jun, 2024 01:04 PM
बच्चे को रखना है एलर्जी से दूर, तो बचपन से ही खिलाएं मूंगफली

हर बच्चा अपने आप में अलग होता है। खाने को लेकर हर बच्चे का अलग टेस्ट होता है। बुहत से बच्चे ऐसे हें जिनके लिए काजू, बादाम और पिस्ता खाना नुकसानदायक हो जाता है। कुछ समय से बच्चों में मूंगफली से भी एलर्जी के कई मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि नए शोध में पाया गया है कि बचपन में मूंगफली के उत्पादों को शुरू करने से किशोरावस्था में मूंगफली की संभावित एलर्जी के विकास को रोका जा सकता है।

 

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अध्ययन में किए गए ये दावे

हाल ही में, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) ने एक नया अध्ययन जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जब किसी बच्चे को शिशु अवस्था से लेकर 5 वर्ष की आयु तक सप्ताह में कम से कम तीन बार मूंगफली से बने उत्पाद खिलाए जाते हैं, तो उनमें मूंगफली से एलर्जी होने की संभावना 71% कम हो जाती है।अध्ययन में कहा गया कि यदि इसे  व्यापक रूप से लागू किया जाए, तो हर साल 3.6 मिलियन बच्चों में मूंगफली से एलर्जी के हजारों मामलों को रोका जा सकता है। 

रोका जा सकता है एलर्जी को

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मूल LEAP प्रतिभागियों में से लगभग 80% को नामांकित किया। इन बच्चों की औसत आयु 13 वर्ष थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि बचपन में मूंगफली से परहेज करने वाले समूह के 15.4% और मूंगफली का सेवन करने वाले समूह के 4.4% बच्चों को 12 वर्ष या उससे अधिक उम्र में मूंगफली से एलर्जी थी। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि बचपन और किशोरावस्था में मूंगफली के उत्पादों को लगातार खाने के बिना भी वे लंबे समय तक टिके रहे। इस अध्ययन से यह बेहतर समझ मिलती है कि मूंगफली की एलर्जी को कैसे रोका जा सकता है।

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 खाद्य एलर्जी होने का क्या कारण हो सकता है?

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बहुत जटिल है और इसमें आनुवांशिकी और पर्यावरण दोनों शामिल हैं। अगर किसी बच्चे का भाई या बहन एलर्जी से पीड़ित है, तो उसे भी एलर्जी हो सकती है, लेकिन ज़रूरी नहीं है। निश्चित रूप से, प्रारंभिक जीवन में पर्यावरणीय कारकों को ठीक से न समझ पाना - जैसे कि अत्यधिक स्वच्छता उपाय या अत्यधिक एंटीबायोटिक कोर्स जो आंत में माइक्रोफ़्लोरा को प्रभावित करते हैं - एलर्जी की ओर संतुलन को झुका सकते हैं। इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि माँ के आहार का इस बात पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है कि बच्चे को मूंगफली से एलर्जी होगी या नहीं।


 प्रोटीन थेरेपी  से भी कम होती है एलर्जी

इससे पहले एक स्टडी में दावा किया गया था कि  एक से 4 साल के बच्चों में अगर मूंगफली से एलर्जी है तो ऐसे में प्रोटीन थेरेपी की सीमित मात्रा बच्चों के लिए कारगर साबित हो सकती है। आमतौर पर प्रोटीन थेरेपी शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरी करने के लिए दी जाती है। यह थेरेपी शरीर में प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियों में भी दी जाती है। 

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बच्चों को मूंगफली खिलाने के फायदे 

-मूंगफली खाने से बच्चों में एलर्जी होने की आशंका 74 फीसदी तक घट गई।

- मूंगफली खिलाने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, इससे पाचन संबंधी समस्याओं से आराम मिलता है। 

-मूंगफली खाने से बच्चों की मेंटल हेल्थ पर अच्छा असर पड़ता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। 

-रोजाना मूंगफली खाने से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता है और बच्चों की सही ग्रोथहोती है।

-इसमें मिलने वाले पोषक तत्व हड्डियों के विकास में भी फायदेमंद हो सकते हैं। 
 

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