चूंकि ध्यान ऐसी चीज है जिसका अभ्यास आप घर पर मुफ्त में कर सकते हैं, इसलिए यह अकसर तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एकदम सही 'टॉनिक' की तरह लगता है। यह एक प्रकार का बौद्ध-आधारित ध्यान है जिसमें आप वर्तमान क्षण में जो कुछ भी अनुभव कर रहे हैं, सोच रहे हैं और महसूस कर रहे हैं उसके प्रति जागरूक होने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसका पहला दर्ज किया गया प्रमाण भारत में पाया गया जो 1,500 साल से भी अधिक पुराना है। बौद्धों के एक समुदाय द्वारा लिखित धर्मत्राता ध्यान शास्त्र में विभिन्न अभ्यासों का वर्णन किया गया है और इसमें ध्यान के बाद होने वाले अवसाद और चिंता के लक्षणों की रिपोर्ट शामिल है।
अमेरिका में ध्यान को लेकर किया गया अध्ययन
इसमें मनोविकृति, पृथक्करण और विवैयक्तिकरण (जब लोगों को लगता है कि दुनिया ‘‘अवास्तविक'' है) के प्रकरणों से जुड़ी संज्ञानात्मक विसंगतियों का भी विवरण दिया गया है। पिछले आठ वर्षों में इस क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान में उछाल आया है। इन अध्ययनों से पता चलता है कि प्रतिकूल प्रभाव दुर्लभ नहीं हैं। 2022 में अमेरिका में नियमित रूप से ध्यान करने वाले 953 लोगों के नमूने का उपयोग करके किए गए एक अध्ययन से पता चला कि 10 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिकूल प्रभावों का अनुभव किया, जिसका उनके रोजमर्रा के जीवन पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव पड़ा और यह कम से कम एक महीने तक चला। साल 2020 में प्रकाशित 40 से अधिक वर्षों के शोध की समीक्षा के अनुसार सबसे आम प्रतिकूल प्रभाव चिंता और अवसाद हैं। इसके बाद मनोविकृति या भ्रम के लक्षण, पृथक्करण या व्यक्तित्व-विहीनता और भय या आतंक होते हैं।
ध्यान से समस्याएं भी होती हैं पैदा
शोध में यह भी पाया गया कि प्रतिकूल प्रभाव उन लोगों पर भी पड़ सकता है, जिन्हें पहले से कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या नहीं रही है या जो ध्यान के संपर्क में केवल मध्यम स्तर पर ही आए हैं तथा इससे दीर्घकालिक लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। पश्चिमी दुनिया के पास भी इन प्रतिकूल प्रभावों के बारे में लंबे समय से सबूत हैं। 1976 में संज्ञानात्मक-व्यवहार विज्ञान आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति अर्नोल्ड लाजरस ने कहा कि ध्यान जब विवेकहीनता या अविचारपूर्वक इस्तेमाल किया जाता है तो ‘‘अवसाद, उत्तेजना और यहां तक कि सिजोफ्रेनिक डिकंपेंसेशन जैसी गंभीर मानसिक समस्याएं'' पैदा कर सकता है। इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि ध्यान से लोगों की सेहत को फायदा हो सकता है। समस्या यह है कि ध्यान के प्रशिक्षक, वीडियो, ऐप और किताबें शायद ही कभी लोगों को संभावित प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चेतावनी देते हैं।
ध्यान पर लंबे समय से चल रही है चर्चा
प्रबंधन के प्रोफेसर और बौद्ध धर्मगुरु रोनाल्ड पर्सर ने अपनी 2023 की किताब ‘मैकमाइंडफुलनेस' में लिखा है कि ध्यान एक तरह की ‘‘पूंजीवादी आध्यात्मिकता'' बन गई है। अकेले अमेरिका में ध्यान का मूल्य 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर है और ध्यान उद्योग के वरिष्ठ लोगों को ध्यान से जुड़ी समस्याओं के बारे में पता होना चाहिए। ध्यान का अभ्यास करने वाले कई नास्तिक और अज्ञेयवादी भी मानते हैं कि इस अभ्यास में दुनिया में शांति और करुणा बढ़ाने की शक्ति है। मीडिया में ध्यान पर चर्चा भी कुछ हद तक असंतुलित रही है। 2016 से 2018 तक ब्रिटेन के 84 स्कूलों में 8,000 से अधिक बच्चों (11-14 वर्ष की आयु) का परीक्षण किया गया। इसके परिणामों से पता चला कि नियंत्रण समूह की तुलना में ध्यान बच्चों की मानसिक भलाई में सुधार करने में विफल रहा और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम वाले लोगों पर इसका हानिकारक प्रभाव भी हो सकता है।
ध्यान के हानिकारक प्रभाव
तनाव और चिंता: अत्यधिक ध्यान करने से कुछ लोगों में तनाव और चिंता बढ़ सकती है, खासकर यदि वे ध्यान के दौरान नकारात्मक विचारों से जूझ रहे हों।
असंतुलन: ध्यान के दौरान अनियंत्रित मानसिक स्थिति या असंतुलन हो सकता है, जिससे व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं।
शारीरिक थकान: लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने से शारीरिक थकान हो सकती है और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
सिरदर्द: कुछ लोगों को ध्यान के दौरान या बाद में सिरदर्द की शिकायत हो सकती है, विशेषकर यदि वे ध्यान के समय गलत मुद्रा में बैठे हों।
नकारात्मक यादें: ध्यान के दौरान अवचेतन मन में छुपी हुई नकारात्मक यादें और भावनाएं सतह पर आ सकती हैं, जो व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं।
भावनात्मक अस्थिरता: ध्यान के दौरान कुछ लोग अत्यधिक भावुक हो सकते हैं, जिससे उनकी भावनात्मक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
ध्यान के हानिकारक प्रभावों से बचने के उपाय
- किसी योग्य गुरु या प्रशिक्षक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। वे आपको सही तकनीकें और मुद्राएं सिखा सकते हैं।
- ध्यान की शुरुआत में किसी अनुभवी व्यक्ति के साथ ध्यान करें।
- ध्यान के समय को संतुलित रखें। शुरुआती दिनों में 10-15 मिनट का ध्यान पर्याप्त हो सकता है और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
- ध्यान करने के लिए एक नियमित समय निर्धारित करें और उसी समय पर ध्यान करें।
- ध्यान के समय आरामदायक मुद्रा अपनाएं। पीठ सीधी रखें लेकिन शरीर को तनावमुक्त रखें।
- यदि लंबे समय तक बैठने में कठिनाई हो तो बीच-बीच में मुद्रा बदलें।
- ध्यान के दौरान नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदलें। मन को शांत और सकारात्मक रखें।
- ध्यान करने से पहले मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहें। तनावमुक्त और शांत स्थिति में ध्यान करें।
- ध्यान को एक सकारात्मक अनुभव के रूप में देखें और इसे जीवन के अन्य पहलुओं के साथ संतुलित करें।
- ध्यान के लाभों पर ध्यान केंद्रित करें और इसे अपने जीवन में एक आदत के रूप में शामिल करें।
ध्यान के लाभ और हानिकारक प्रभाव व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करते हैं। सही तकनीक और मार्गदर्शन के साथ, ध्यान के हानिकारक प्रभावों से बचा जा सकता है और इसके लाभों का पूरा आनंद लिया जा सकता है।