नारी डेस्क: बॉलीवुड एक्टर विजय वर्मा, जो अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं, इन दिनों एक रेयर स्किन डिजीज से जूझ रहे हैं। फिल्मों और वेब सीरीज जैसे 'मिर्जापुर', 'गली बॉय', 'डार्लिंग्स' में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विजय ने हाल ही में बताया कि उन्हें विटिलिगो नामक बीमारी है, जिससे उनके चेहरे और शरीर पर सफेद दाग हो जाते हैं।
क्या है विटिलिगो बीमारी?
विटिलिगो एक त्वचा से जुड़ी समस्या है, जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर सफेद धब्बे बनने लगते हैं। यह समस्या तब होती है जब त्वचा में प्राकृतिक रंग बनाने वाले मेलानिन (Melanin) का उत्पादन करने वाले सेल्स नष्ट हो जाते हैं। इसके कारण त्वचा का रंग हल्का या सफेद हो जाता है। यह समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है, जैसे चेहरे, हाथ, पैर, या यहां तक कि सिर पर भी।
विजय वर्मा ने क्या कहा?
विजय वर्मा ने हाल ही में अपनी बीमारी का खुलासा करते हुए बताया कि सफेद दाग को छुपाने के लिए उन्हें मेकअप का सहारा लेना पड़ता है। वे इस स्थिति को स्वीकार कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद समाज में इसे लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
विटिलिगो का इलाज और उपाय
विटिलिगो का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल करने और इसे फैलने से रोकने के लिए कुछ विकल्प उपलब्ध हैं:
दवाई और क्रीम: विटिलिगो के शुरुआती चरण में दवाइयों और क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। इससे सफेद दाग को कम करने में मदद मिलती है।
लेजर थेरेपी: लेजर थेरेपी के जरिए त्वचा पर यूवीबी (UVB) रोशनी डालकर मेलानिन का उत्पादन बढ़ाया जाता है। इससे दाग को फैलने से रोका जा सकता है।
नैरो बैंड थेरेपी: जब शरीर में विटिलिगो का फैलाव रुक जाता है, तब नैरो बैंड थेरेपी के जरिए सफेद दाग को कम किया जाता है।
एक्साईमर लेजर: इस तकनीक में यूवीबी रोशनी के जरिए सफेद दाग वाली त्वचा में प्राकृतिक रंग को वापस लाने की कोशिश की जाती है।
क्या विटिलिगो से बचा जा सकता है?
विटिलिगो से बचने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है, क्योंकि यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है। हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली, सही आहार और तनाव कम रखने से इसके असर को कम किया जा सकता है। अगर इसके शुरुआती लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
समाज में जागरूकता जरूरी
विजय वर्मा जैसे सेलेब्रिटी का इस बीमारी पर खुलकर बात करना समाज में इसे लेकर जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। यह जरूरी है कि लोग इसे एक सामान्य स्थिति की तरह स्वीकारें और प्रभावित व्यक्ति को समर्थन दें।
इस बीमारी से जूझते हुए भी विजय वर्मा का आत्मविश्वास और सफलता प्रेरणा का स्रोत है।