अवसाद यानि डिप्रेशन आज के समय में एक आम समस्या हो गई है। हर दूसरा व्यक्ति इस परेशानी से जूझ रहा है। एक अध्यन के मुताबिक इस की शिकार अधिकतर महिलाएं हो रही हैं। ये बीमारी देश भर में बड़ी तेजी से फेल रही है और बावजूद इसके कई महिलाएं इस से अनजान होती हैं। सिर्फ यही नहीं बल्कि महिलाओं में प्रसवोत्तर अवसाद (पीपीडी) भी बेहद आम हो चूका है। रिपोर्ट्स के अनुसार पता चला है के जब महिलाएं अपने शिशु को लेकर टीकाकरण केंद्रों पर पहुंचती हैं तो वहां मौजूद अन्य महिला या स्वास्थ्य कर्मचारी के साथ बातचीत में अपने लक्षणों के बारे में चर्चा करती हैं, लेकिन तब भी अपनी परेशानी समझ नहीं पाती हैं। ऐसे में जरुरी है की हर स्वस्थ्य कर्मचारियों के साथ इस परेशानी को साझा किया जाये। जिससे समय रहते इस से बचा जा सके।
बच्चे पर भी पड़ता है इसका असर
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में भारत में प्रसवोत्तर अवसाद यानी पीपीडी 22 फीसदी महिलाएं ग्रस्त मिली हैं, जिनमें से पहले या दूसरे शिशु को जन्म देने के बाद भी इस परेशानी से जूझती मिली। विशेषज्ञों का कहना है इस के बुरे परिणामों से बचने के लिए समय पर प्रबंध किया जाना जरुरी है। इसी के चलते वैज्ञानिक ने एक वीडियो बनाया है जिसमें हिलाओं को उनकी परेशानी, लक्षण, इलाज और जांच के बारे में सही जानकारी के बारे में बताया है।
इस वजह से होता है पीपीडी
गर्भावस्ता के दौरान महिला में बहुत से बदलाव हो रहे होते हैं जिसकी वजह से एक मां शिशु को जन्म देने के बाद उत्साह और खुशी से लेकर दुख और आंसुओं तक कई तरह की भावनाओं को महसूस कर सकती है। ऐसे में वह मेंटली और फिज़िकली थोड़ा वीक हो जाती है।