मशहूर हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया की जिंदगी पर लिखी एक नयी किताब में उनके गरीब से अमीर बनने की कहानी बताई गई है कि उन्होंने किस तरह एक अरब डॉलर की कंपनी बनाई और हीरा व्यापार के केंद्र को बेल्जियम से भारत लाने में सफल रहे। उन्होंने यह कारोबार खड़ा करने से पहले एक हीरा कारखाने में हीरों को पॉलिश करने का काम भी किया था।
दिग्गज हीरा कंपनी श्री रामकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एसआरके) के संस्थापक एवं कार्यकारी अध्यक्ष ढोलकिया ने अपनी आत्मकथा के बारे में कहा- इस किताब के जरिये अपने जीवन, संघर्षों और कारोबारी सफर के एक महत्वपूर्ण हिस्से को फिर से देखना खुशी की बात है।" उन्होंने कहा-हम में से हरेक के पास जीवन के अलग-अलग अनुभव हैं जो हमारे वर्तमान और भविष्य को आकार देते हैं। इस पुस्तक से मैं अपने जीवन के अनुभवों को सभी के साथ साझा करना चाहता हूं ताकि यह आश्वस्त हो सके कि ईमानदारी और नैतिकता का जीवन बड़ी सफलता प्राप्त करने में मदद करता है और यह बहुत संतुष्टि देता है।"
'डायमंड्स आर फॉरेवर, सो आर मॉरल्स' शीर्षक से प्रकाशित इस आत्मकथात्मक पुस्तक की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे 'प्रेरणा का स्रोत' बताते हुए इस पुस्तक की सफलता की कामना की। ढोलकिया का जन्म गुजरात के एक सुदूर गांव में सात भाइयों और बहनों वाले एक गरीब खेतिहर परिवार में हुआ था।
वह भी किसी अन्य बच्चे की तरह ही बड़े हुए। उनकी कारोबारी यात्रा वर्ष 1964 में शुरू हुई, जब उन्होंने सूरत की ओर रुख किया। उन्होंने ऐसा न केवल अपने परिवार की मदद करने बल्कि बेहतर करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए भी किया। ढोलकिया को जानने वाले लोग प्यार से 'गोविंद काका' कहकर बुलाते हैं। याद हो कि इन्होंने ही राम नगरी अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए 11 करोड़ रुपये की राशि दान में दी थी।