छोटे बच्चे की देखभाल करने के लिए माता-पिता के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं। शिशु के सांस लेने की गति अगर तेज हो जाए तो भी पैरेंट्स घबरा जाते हैं। नवजात शिशु का तेज सांस लेना माता-पिता के चिंता का कारण बन सकता है। शिशु के फेफड़े छोटे होते हैं, इसलिए उनकी सांस तेज हो सकती है। जैसे-जैसे शिशु उम्र के साथ बढ़ते जाते हैं उनके शरीर का भी विकास होने लगता है। शिशु के फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ जाती है। लेकिन शिशु को तेज सांस क्यों आती है, इसके क्या कारण है। आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
इसलिए तेज चलती है शिशु की सांस
. यदि शिशु की सांसे तेज चल रही हैं और उसके पेट की मांसपेशियों में भी ज्यादा हलचल महसूस हो रही है तो आप उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। शिशु का डॉक्टर से चेकअप भी जरुर करवाएं। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन अंदर न पहुंच पाने के कारण भी शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
. इसके अलावा यदि शिशु को फेफड़ों से संबंधी रोग है तो भी उसे सांस लेने में समस्या हो सकती है।
. नाक में म्यूकस जमा होने के कारण भी शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
. गले में इंफेक्शन होने के कारण भी शिशु की सांस तेज चल सकती हैं।
. सर्दी-जुकाम होने पर भी शिशु की सांसे चल सकती हैं।
क्या करें?
यदि शिशु को सांस लेने में कोई समस्या हो रही है तो आप उसे एंटीबॉयोटिक दे सकते हैं। कई बार इंफेक्शन होने के कारण भी शिशु की सांस तेज चल सकती हैं। नवजात के जन्म के 5-6 घंटे के अंदर ही उसकी जांच करनी चाहिए। यदि आपको शिशु के श्वसन प्रक्रिया को लेकर ज्यादा चिंता हो रही है तो आप डॉक्टर्स की सलाह भी ले सकते हैं। इसके अलावा तेज सांस चलने पर आप शिशु की पीठ को थपथपाएं, शिशु को सही पॉजिशन में रखें। ऐसा करने से भी शिशु के सांस लेने की प्रक्रिया नॉर्मल हो जाएगी।
पल्स रेट चेक करें
आप नवजात का पल्स रेट्स भी समय-समय पर चेक करें। शिशु की बीट्स एक मिनट में करीबन 160 तक होती है। शिशु के एक्टिव होने पर बीट्स थोड़ी बढ़ सकती है। यदि आपको लग रहा है कि शिशु की सांस तेज हो रही है तो आप उसका पल्स रेट भी जरुर चेक करें। अगर आपको लग रहा है कि बच्चे की पल्स रेट अनियमित हो रही है तो आप तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
बच्चे के श्वसन दर को भी जरुर चेक करें
पैरेंट्स को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए, कि बच्चे की छाती एक मिनट में कितनी बार उठ रही है। इसको चेक करने के लिए आप अपना हल्का हाथ शिशु की छाती पर रखें। ऐसा करने से आपको पता चल जाएगी कि शिशु कितनी बार सांस ले रहा है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि शिशु की छाती पर तेज हाथ भी न रखें।