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बारिश में टपकती छत और सीलन की झंझट से बचना है तो, पहले ही कर लें ये काम

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 03 Jul, 2025 05:13 PM
बारिश में टपकती छत और सीलन की झंझट से बचना है तो, पहले ही कर लें ये काम

नारी डेस्क: मानसून का मौसम जहां गर्मी से राहत लेकर आता है, वहीं यह कई घरों के लिए सिरदर्द भी बन सकता है। खासतौर पर उत्तर भारत में, जहां इस बार गर्मियों में तापमान 50 डिग्री तक चला गया था, वहां मानसून ने जरूर राहत दी है पर अब पानी रिसाव, सीलन और फफूंदी जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए, टैरेस या छत की वॉटरप्रूफिंग मानसून से पहले कराना बेहद जरूरी है।

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मानसून में छत से होने वाली समस्याएं

पानी का रिसाव (Seepage): दीवारों पर पानी टपकना या अंदर तक नमी पहुंचना।
सीलन (Dampness): छत या कमरे की दीवारें नम लगने लगती हैं।
फफूंदी और बदबू: नमी से काली/हरी फफूंदी और दुर्गंध।
प्लास्टर का गिरना: दीवारों की सतह उखड़ जाती है।


 सही टैरेस वॉटरप्रूफिंग कैसे करें?


-मानसून से पहले छत पर जमा कूड़ा-कचरा, मलबा और पुराने पौधे हटा दें। दरारें, क्रैक या गड्ढे ढूंढें।

-क्रैक फिलर  से दरारें भरें। जरूरत हो तो सिरामिक कोटिंग या सीमेंट की मरम्मत कराएं।

- बाजार में मिलने वाले एलास्टोमेरिक वॉटरप्रूफ कोटिंग्स, जैसे कि Dr. Fixit, Asian Paints Damp Proof, आदि इस्तेमाल करें।  कम से कम 2 से 3 लेयर लगाना चाहिए।

-ये कोटिंग्स पानी को छत में घुसने से रोकती हैं और लचीलापन भी देती हैं।

-छत पर वाटर ड्रेनेज (piping) और नालियों की सफाई करें। कहीं पानी इकट्ठा न हो, पानी का ठहराव सबसे बड़ा रिस्क है।

-टाइल्स के बीच की  ग्राउटिंग में दरार है तो वॉटर सीपेज बढ़ सकता है। विशेष ग्राउट सीलेंट से ठीक करें।

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अंदरूनी दीवारों की सुरक्षा

 ध्यान रखें कि छत पर पानी इकट्ठा न होने दे,  दरारों को नजरअंदाज करें, पुराने सीलेंट को हटाए बिना नया कोटिंग चढ़ा दें। सिर्फ सीमेंट या सफेद पुताई को वॉटरप्रूफिंग मान लेना बेहद बड़ी गलती है।  मानसून में छत की वॉटरप्रूफिंग करवाना केवल सुंदरता के लिए नहीं, आपके पूरे घर और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जरूरी है। एक छोटी सी दरार बड़े नुकसान की वजह बन सकती है। समय रहते छत की मरम्मत और वॉटरप्रूफिंग कराकर नमी, फफूंदी और रिसाव से छुटकारा पाएं।

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