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Chhath 2023: कुछ ऐसे शुरु हुई थी छठ पर्व मनाने की अनूठी परंपरा

  • Edited By palak,
  • Updated: 18 Nov, 2023 06:56 PM
Chhath 2023: कुछ ऐसे शुरु हुई थी छठ पर्व मनाने की अनूठी परंपरा

छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। यह पर्व कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला हिंदू पर्व है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय  के साथ होती है और चौथे दिन उषा अर्घ्य के साथ इसका समापन होता है। इस पर्व में सूर्य को अर्घ्य देया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मां छठी सूर्य देव की बहन हैं इसलिए इस पर्व में उगते और डूबते सूर्य की पूजा होती है। 

ब्रह्म की पुत्री हैं मां छठी 

वैसे तो महापर्व छठी से जुड़ी कई सारी मान्यताएं है। छठी मैया को षष्ठी देवी भी कहते हैं। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहते हैं जो निसंतानों का संतान प्रदान करती हैं। कहा जाता है कि जो लोग छठ पर्व पर भगवान सूर्य और मां छठी की पूजा अर्चना पूरे विधान से करते हैं उन्हें षष्ठी देवी संतान की प्राप्ति, संतान की दीर्घायु, संतान की कुशलता प्राप्त होती है। हिंदू समाज में जब बच्चा जन्म लेता है तो बच्चे के जन्म के छठे दिन मनाई जाने वाली छठी पर भी षष्ठी देवी की ही पूजा होती है। मां छठी को कात्यानी देवी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर भी इन्हीं की पूजा की जाती है। 

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ये भी है अनूठी कहानी 

छठ पूजा से वैसे तो कई सारी कहानियां प्रचलित हैं जिनमें से एक भगवान राम से जुड़ी है। मान्यताों के अनुसार, जब राम लंकापति रावण का वध करके अयोध्या आए थे तो राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और मां सीता ने उपवास रखकर सूर्यदेव की पूजा अर्चना की थी। एक कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है मान्यताओं के अनुसार, सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरु की थी। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे। सूर्यदेव के आशीर्वाद ने वह महान योद्धा बने थे। 

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चार दिन की होती है छठ पूजा 

छठ पूजा के पहले दिन 17 नवंबर को नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या में अर्घ्य और चौथे दिन सुबह अर्घ्य दिया जाता है।

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