नारी डेस्क : छोटे बच्चों की हंसी और मासूम हरकतें हर किसी का दिल जीत लेती हैं। कई बार लोग बच्चों को हंसाने के लिए उन्हें गुदगुदाने लगते हैं। हमें लगता है कि बच्चा मजे ले रहा है और हंसकर खुश हो रहा है, लेकिन असलियत इससे अलग हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, गुदगुदी बच्चों के शरीर और दिमाग पर गलत असर डाल सकती है। बच्चे बाहर से हंसते हैं, लेकिन अंदर से असहज महसूस कर सकते हैं। इसलिए डॉक्टर पैरेंट्स को सावधान रहने की सलाह देते हैं।
क्यों सही नहीं है बच्चे को गुदगुदाना?
जब बच्चे को गुदगुदाया जाता है, तो उसकी हंसी कई बार रिफ्लेक्स एक्शन होती है, यानी शरीर खुद-ब-खुद प्रतिक्रिया देता है। यह हंसी हमेशा मजे की निशानी नहीं होती। चूंकि छोटे बच्चे बोलकर अपनी भावना नहीं बता पाते, इसलिए उनकी हंसी कई बार भ्रामक हो सकती है।

गुदगुदी से बच्चे के शरीर पर असर
सांस रुकना: गुदगुदी के दौरान कई बार बच्चे की सांस कुछ सेकंड के लिए रुक जाती है। छोटे बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है।
मांसपेशियों में तनाव: गुदगुदी से बच्चों की मसल्स टाइट हो जाती हैं, जिससे उन्हें आराम की बजाय तनाव महसूस होता है।
दिल की धड़कन बढ़ना: गुदगुदाने पर हार्ट रेट तेजी से बढ़ सकता है, जो छोटे बच्चों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
स्ट्रेस हार्मोन का बढ़ना: बाहर से बच्चा हंसता हुआ दिखेगा, लेकिन शरीर के अंदर स्ट्रेस हार्मोन बढ़ सकते हैं, जिससे बच्चा असहज हो सकता है।
दिमाग में उलझन: गुदगुदी के दौरान बच्चे का दिमाग मजे और डर के बीच फर्क नहीं कर पाता। बार-बार ऐसा होने से बच्चे के आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना प्रभावित हो सकती है।

क्यों खतरनाक हो सकती है बार-बार गुदगुदी?
छोटे बच्चे अपनी असली भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते। बार-बार गुदगुदाने से उनके मन में डर और घबराहट की भावना स्थायी रूप से बैठ सकती है। लंबे समय में यह उनकी मानसिक सेहत पर असर डाल सकता है।
बच्चों को खुश करने के सही तरीके
बच्चों से बातचीत करें और उनका साथ दें।
कहानियां सुनाएं या गाने गाएं।
उनके पसंदीदा खिलौनों से खेलें।
उन्हें गले लगाएं और प्यार से समय बिताएं।
इन तरीकों से बच्चा अपनी खुशी से हंसेगा और उसका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

बच्चों को गुदगुदाना भले ही मजेदार लगता हो, लेकिन यह हमेशा उनके लिए सुरक्षित नहीं होता। गुदगुदी से बच्चों का शरीर और दिमाग दोनों प्रभावित हो सकते हैं, जिससे तनाव, घबराहट और असहजता पैदा हो सकती है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों की खुशी के लिए गुदगुदाने के बजाय उनसे बातचीत करें, खेलें और प्यार से जोड़ें। सही तरीके से बच्चों को खुश रखना उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहद जरूरी है।