वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती का शुभ पर्व मनाया जाता है। इस साल यह दिन 20 मई दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। मां बगलामुखी को दुर्गा मां का आंठवां अवतार माना जाता है। मान्यता है कि देवी मां की पूजा करने जीवन की समस्याओं का अंत हो जाता है। साथ ही डर व शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। मां बगलामुखी को पीला रंग अतिप्रिय होने से उन्हें पीताम्बरा देवी के नाम से भी पूजा जाता है। तो आइए जानते हैं बगलामुखी जयंती का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि व पौराणिक कथा...
बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त
बगलामुखी जयंती तिथि- 20 मई 2021, गुरुवार
पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 11:50 मिनट से दोपहर 12:45 मिनट तक
महत्व
मान्यता है कि मां बगलामुखी की साधना करने से गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिलता है। जमीनी विवाद व मुकदमों में अपने हक में फैसला आया है। साथ दुश्मनों से राहत मिलती है।
मां बगलामुखी पूजा विधि
. सुबह उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहन लें।
. मां बगलामुखी कै पीला रंग अतिप्रिय होने पर पीले कपड़े पहने।
. पूजा के दौरान अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखें।
. अब चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें।
. देवी मां को पीले फूल और फल चढ़ाएं।
. पूजा के बाद मां बगलामुखी की कथा, आरती और चालीसा पढ़ें।
. शाम के समय भी कथा पढ़ें और सुने।
. व्रत के दौरान व्रती शाम के समय फलों का सेवन करें।
. वहीं इस शुभ दिन पर दान जरूर करें। मान्यता है कि इससे अक्षय पुण्य मिलता है।
कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग के समय धरती पर भयानक तूफान आ गया था। इसके कारण सृष्टि अपने विनाश की ओर पहुंचने लगी थी। उस समय धरती की सुरक्षा के लिए श्रीहरि ने तप किया था। तब मां बगलामुखी हरिद्रा सरोवर में जलक्रीड़ा करती हुई प्रकट हुई। तब भगवान विष्णु ने दुनिया को इस तबाही से बचाने के लिए देवी बगलामुखी से प्रार्थना की। फिर भगवान नारायण के तप व आग्रह से प्रसन्न होकर मां बगलामुखी उन्हें तथास्तु कहकर अंतर्धान हो गई। मान्यता है कि वह दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को था। उसी दिन से इस शुभ दिन को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाने लगी।