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उत्पन्ना एकादशी 2024: इस पवित्र दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, जानें क्या करें और क्या न करें!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 26 Nov, 2024 09:45 AM
उत्पन्ना एकादशी 2024: इस पवित्र दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, जानें क्या करें और क्या न करें!

नारी डेस्क: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। इस वर्ष 2024 में उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर, मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है।

इस दिन को इसलिए खास माना जाता है क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी मैय्या का जन्म इसी दिन हुआ था। इस दिन व्रत रखने से विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत के नियम और इस दिन क्या करें और क्या न करें।

उत्पन्ना एकादशी 2024: क्या करें? व्रत के नियम 

व्रत का संकल्प लें

उत्पन्ना एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुद्ध मन और तन के साथ भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय अपने हाथ में जल लेकर यह प्रार्थना करें कि आपका यह व्रत पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ संपन्न हो। संकल्प के दौरान भगवान विष्णु से यह कामना करें कि वे आपको आध्यात्मिक उन्नति और पापों से मुक्ति प्रदान करें।

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पूजा विधि

भगवान विष्णु की प्रतिमा या मूर्ति को स्वच्छ चौकी पर स्थापित करें। गंगाजल या स्वच्छ जल से मूर्ति को स्नान कराएं। इसके बाद विष्णु भगवान को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि यह रंग उन्हें अत्यंत प्रिय है। पूजा में पीले फूल, चंदन, तुलसी दल, फल, और पीला भोग अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें। पूरे दिन विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या भजन-कीर्तन करें।

सूर्य को अर्घ्य दें

स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण नियम है। जल में चावल और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और स्वास्थ्य में सुधार होगा।

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दीपक जलाएं

भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही तुलसी के पौधे के पास भी दीपक अवश्य जलाएं। तुलसी माता को भगवान विष्णु का अभिन्न अंग माना गया है, इसलिए उनकी पूजा का भी विशेष महत्व है।

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दान करें

इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन, या अन्य आवश्यक सामग्री दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। दान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करते समय निस्वार्थ भाव रखें और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें।

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भजन-कीर्तन करें

पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनकी महिमा का गान करें। भजन-कीर्तन के माध्यम से अपने मन को शांत और पवित्र रखें। यह दिन पूरी तरह से भक्ति और आत्मिक शुद्धि का होता है, इसलिए धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी करें।

उत्पन्ना एकादशी 2024: क्या न करें?

चावल का सेवन न करें

इस दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को पापों का भागी बनना पड़ता है। इसलिए चावल और उससे बने किसी भी भोजन का सेवन करने से बचें।

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तुलसी न तोड़ें

भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। तुलसी को माता का दर्जा दिया गया है, इसलिए इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचें। यदि पूजा के लिए तुलसी की आवश्यकता हो तो एक दिन पहले ही पत्तों को तोड़कर रख लें।

मांस और मदिरा का सेवन न करें

एकादशी के दिन मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन का सेवन पूरी तरह वर्जित है। इनका सेवन न केवल व्रत को अशुद्ध करता है बल्कि यह भगवान विष्णु की कृपा पाने में बाधा भी उत्पन्न करता है।

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झूठ और निंदा से बचें

इस पवित्र दिन पर किसी की बुराई करना, झूठ बोलना या दूसरों के प्रति द्वेष की भावना रखना पाप माना जाता है। मन को शांत और पवित्र बनाए रखें। अपने विचारों को सकारात्मक रखें और हर किसी के प्रति सद्भावना रखें।

व्रत का पारण समय पर करें

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अत्यंत आवश्यक है। पारण के लिए शुद्ध और सात्त्विक भोजन का सेवन करें। समय पर पारण करने से व्रत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होता है।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

इस दिन व्रत रखने से मनुष्य को जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

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विशेष शुभ योग

2024 में उत्पन्ना एकादशी पर दो शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान कृष्ण का अभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना गया है। राशि के अनुसार अभिषेक करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय धारणाओं पर आधारित है। इसे अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

 

 

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