नारी डेस्क: गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपरब भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन को गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के रूप में पूरे भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी (वर्तमान में ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। गुरु नानक देव जी ने सामाजिक समानता, एकता और करुणा का संदेश दिया। उनके विचारों और शिक्षाओं का उद्देश्य समाज में एकता, प्यार और मानवता का प्रसार करना था। गुरु नानक देव जी ने अपने अनुयायियों को "नाम जपो" (ईश्वर का नाम स्मरण), "किरत करो" (इमानदारी से काम करना), और "वंड छको" (साझा करना) का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी।
गुरु नानक जयंती के अवसर पर होते हैं विशेष आयोजन
इस साल 15 नवंबर यानी कि कल गुरु नानक जयंती देश भर में धूमधाम से मनाई जाएगी। गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में अखंड पाठ, कीर्तन और लंगर का आयोजन होता है। इस दिन को सिख समुदाय के लोग अपने धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के सिद्धांतों का पालन करते हुए मनाते हैं और परंपरागत रूप से प्रभात फेरी (सुबह की यात्रा) भी निकाली जाती है। चलिए इस पावन पर्व पर आज हम आपको देश के प्रसिद्ध गुरुद्वारे और उनका महत्व बताने जा रहे हैं।
गोल्डन टेम्पल (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर
यह सिख धर्म का सबसे पवित्र गुरुद्वारा है। अमृतसर का हर कोना इसकी सुंदरता और आध्यात्मिकता से सराबोर है। यहां का सरोवर (पवित्र तालाब) भी विशेष महत्व रखता है, जिसमें भक्त पवित्र स्नान करते हैं।
गुरुद्वारा बंगला साहिब, नई दिल्ली
यह गुरुद्वारा गुरु हरकृष्ण जी की याद में बनाया गया है। कहा जाता है कि यहां के पानी में रोगों को ठीक करने की शक्ति है। दिल्ली के मध्य में स्थित यह गुरुद्वारा एकता और सेवा का प्रतीक है।
तख्त श्री पटना साहिब, पटना
पटना में स्थित यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मस्थान है। इसे पांच तख्तों में से एक माना जाता है और यह सिख धर्म में विशेष मान्यता रखता है।
हजूर साहिब, नांदेड़
यहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने अंतिम समय बिताया था। इस पवित्र स्थान पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अंतिम निर्देश दिए और सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का अंतिम और शाश्वत गुरु घोषित किया।
गुरुद्वारा पोंटा साहिब, हिमाचल प्रदेश
यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी के निवास के समय का है। यहां पर उन्होंने अपने अनुयायियों को संगठित किया और उनके बीच वीरता की भावना भरी।
गुरुद्वारा मजनू का टीला, दिल्ली
यह गुरु नानक देव जी की यात्रा के दौरान बनी एक पुरानी याद है। यह गुरुद्वारा सिख परंपरा और इतिहास का प्रतीक है और यहां पर आने वाले भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है।