नारी डेस्क: इस वर्ष का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि, यानी 7 सितंबर 2025 (रविवार) को लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में पूरी तरह दृश्यमान रहेगा, इसलिए इसका धार्मिक महत्व और प्रभाव अधिक माना जा रहा है।
ग्रहण का समय
सूतक काल प्रारंभ: दोपहर 12:58 बजे (7 सितंबर)
ग्रहण प्रारंभ: रात 09:58 बजे
ग्रहण समाप्ति: रात 01:26 बजे (8 सितंबर की तड़के)
सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।
ग्रहण काल में तुलसी का महत्व
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण के समय भोजन और जल को दूषित होने से बचाने के लिए उसमें तुलसी की पत्तियां डालने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पत्ते नकारात्मक ऊर्जा और ग्रहण के दुष्प्रभाव से रक्षा करते हैं। इसलिए ग्रहण शुरू होने से पहले ही खाने और पीने की चीज़ों में तुलसी डाल दी जाती है।
ग्रहण और रविवार: तुलसी को न करें स्पर्श
ग्रहण के समय तुलसी के पौधे को छूना या पूजन करना वर्जित होता है। इसके साथ ही रविवार को भी तुलसी के पत्ते तोड़ना या पौधे को स्पर्श करना मना है। इसलिए इस बार की स्थिति थोड़ी विशेष है क्योंकि चंद्र ग्रहण रविवार को पड़ रहा है।
इस स्थिति में ना तो ग्रहण के दिन तुलसी को तोड़ा जा सकता है और ना ही स्पर्श किया जा सकता है। ऐसे में ग्रहण काल के लिए आवश्यक तुलसी की व्यवस्था पहले से करनी होगी।
शनिवार को ही कर लें आवश्यक तैयारी
ग्रहण के लिए तुलसी की पत्तियां शनिवार 6 सितंबर 2025 को ही तोड़ लें। इन्हें साफ पानी से धोकर किसी स्वच्छ कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रख लें। ग्रहण के दौरान इन्हीं पत्तियों को भोजन और पानी में डालें। इस तरह आप धार्मिक नियमों का पालन करते हुए तुलसी से जुड़े कार्य समय पर पूरे कर सकते हैं।
शास्त्रीय प्रमाण: तुलसी तोड़ने के नियम
पद्मपुराण में तुलसी के पत्ते तोड़ने से संबंधित स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं:
"अशनं सायं न कर्तव्यं न तुलस्या दलं हरेत्।
रविवारे च संक्रान्तौ द्वादश्यां च विशेषतः॥"
इसका अर्थ है कि शाम के समय, रविवार को, संक्रांति के दिन, और द्वादशी तिथि में तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित होता है। ऐसा करने से धार्मिक दोष और पुण्य में कमी आती है।
गर्भवती महिलाओं को बरतनी चाहिए सावधानी
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। उन्हें तेज रोशनी से बचना, घर से बाहर न निकलना और किसी भी नुकीली या तेज वस्तु का प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इससे गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ग्रहण के बाद क्या करें?
ग्रहण समाप्त होने के बाद सभी को स्नान करके शुद्ध होना चाहिए। फिर घर की सफाई करें और ताज़े जल से पूजा करें। ग्रहण से पहले रखे गए भोजन या पानी में डाली गई तुलसी पत्तियों के साथ ही खाना खाएं।
इस वर्ष चंद्र ग्रहण रविवार 7 सितंबर 2025 को है, जो धार्मिक दृष्टि से विशेष नियमों वाला दिन है। क्योंकि रविवार और ग्रहण दोनों ही तुलसी स्पर्श के लिए वर्जित माने जाते हैं, इसलिए शनिवार 6 सितंबर को ही तुलसी पत्तियों की व्यवस्था कर लें। इससे न केवल नियमों का पालन होगा बल्कि धार्मिक दोष से भी बचाव होगा।