भारत में आज भी लोग कईं तरह के रीति रिवाज में फंसे हैं। आज भी बहुत-सी ऐसी परंपराएं हैं, जिन्हें लड़कियों/बेटियों को निभाने नहीं दिया जाता। इन्हीं में से एक है पार्थिव शरीर को कंधा और मुखाग्नि देना। हालांकि अब समाज का नजरिया बदल रहा है। इसकी उदाहरण है हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गए सीडीएस बिपिन रावत की बेटियां...
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और पत्नी मधुलिका रावत की यात्रा शाम दिल्ली के बरार स्क्वायर श्मशान में उनकी बेटियों के अंतिम संस्कार के साथ समाप्त हो गई। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का शुक्रवार को दिल्ली के बरार स्क्वायर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। उनकी दो बेटियों कृतिका रावत और तारिणी रावत ने अपने माता-पिता का अंतिम संस्कार किया।
दंपति की दो बेटियों तारिणी और कृतिका ने दोपहर 2.20 बजे के आसपास अंतिम संस्कार शुरू होने से पहले अपने घर पर पारंपरिक रस्में निभाईं। उनके पोते को भी दादा-दादी को अंतिम सम्मान देते हुए देखा गया। सीडीएस और उनकी पत्नी का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जनरल रावत को निर्धारित मानदंडों के अनुसार 17 तोपों की सलामी दी गई।
अंतिम संस्कार के बाद दोनों बेटियों ने दंपत्ति की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार गंगा में विसर्जित की। उनकी दोनों बेटियां दिल्ली से अस्थि कलश लेकर हरिद्वार वीआईपी घाट पहुंचीं, जहां सैन्य सम्मान और विधि विधान से अस्थियां गंगा में विसर्जित की गई। सुबह करीब साढ़े 11 बजे परिवार के सदस्य अस्थियों को लेकर घाट पर पहुंचे। इस दौरान सेना की ओर से अंतिम सलामी दी गई। वीआईपी घाट पर सेना का बैंड और टुकड़ियां भी मौजूद रहीं।
बता दें कि दंपति की बेटी कृतिका सबसे बड़ी है जिसकी शादी हो चुकी है। उसका एक बेटा है और वह मुंबई में रहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छोटी बहन तारिणी एक वकील हैं और राष्ट्रीय राजधानी में माता-पिता के साथ रहती थीं। गौरतलब है कि सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत अन्य सैन्य अधिकारियों का 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आकस्मिक निधन हो गया था।