नारी डेस्क : रात में अचानक डरावने सपनों से नींद खुल जाना कई लोगों के लिए आम बात है। लेकिन जब ये बुरे सपने बार-बार आने लगें, नींद तोड़ दें और दिनभर बेचैनी या थकान महसूस हो, तो यह सामान्य नहीं है। इसे नाइटमेयर डिसऑर्डर कहा जाता है। इसके पीछे तनाव, अनियमित नींद या मानसिक परेशानी जैसे कारण हो सकते हैं। सही रूटीन और विशेषज्ञ की सलाह से इनसे राहत पाई जा सकती है।
क्या होता है नाइटमेयर डिसऑर्डर? (Nightmare Disorder)
नाइटमेयर डिसऑर्डर वह स्थिति है जब डरावने सपने बार-बार आते हैं, व्यक्ति नींद में डरकर उठ जाता है और उसे सपने की पूरी तस्वीर याद रहती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के मुताबिक, करीब 4% वयस्क लोग इस समस्या से प्रभावित हैं।

नाइटमेयर (Nightmare) और नाइट (Night) टेरर में फर्क
नाइटमेयर: यह हल्की नींद में आते हैं और इंसान को पूरी तरह याद रहते हैं।
नाइट टेरर: यह गहरी नींद में होते हैं, जिनमें व्यक्ति चिल्ला सकता है या डर सकता है, लेकिन बाद में कुछ याद नहीं रहता।
बुरे सपनों के कारण
बुरे सपनों के पीछे कई मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कारण हो सकते हैं। अक्सर यह तनाव और चिंता (Stress & Anxiety) से जुड़ा होता है, जब दिमाग दिनभर की टेंशन को नींद में भी प्रोसेस करता रहता है। ट्रॉमा या PTSD झेल चुके लोगों में डरावने सपने ज्यादा आते हैं क्योंकि दिमाग बीते अनुभवों को दोहराता है। डिप्रेशन या मानसिक अस्थिरता भी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव, शराब या नशे का सेवन, और अनियमित नींद का पैटर्न भी बुरे सपनों की संभावना बढ़ा देते हैं।

क्या होता है असर?
बार-बार आने वाले नाइटमेयर्स भले ही शरीर को सीधा नुकसान न पहुंचाएं, लेकिन ये धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। लगातार डरावने सपनों की वजह से व्यक्ति दिनभर थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग का अनुभव कर सकता है। नींद पूरी न होने से ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती है और डर या बेचैनी की भावना बनी रहती है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो यह मेंटल हेल्थ को कमजोर कर सकती है और गंभीर मामलों में आत्मघाती विचारों की संभावना भी बढ़ सकती है।
कैसे पाएं छुटकारा बुरे सपनों से?
नींद का तय समय रखें: रोज एक ही समय पर सोएं और उठें।
सोने से पहले रिलैक्स करें: ध्यान, हल्का संगीत या किताब पढ़ें।
डरावनी चीजें न देखें: रात में हॉरर कंटेंट या तनाव देने वाली बातें न करें।
भारी भोजन या शराब से बचें: खासकर सोने से कुछ घंटे पहले।
इमेज रिहर्सल थेरेपी अपनाएं: अपने डरावने सपने का “अच्छा अंत” सोचकर उसकी कल्पना करें। इससे दिमाग उस भय को कम करता है।

डॉक्टर से कब मिलें?
अगर बुरे सपने हफ्ते में कई बार आने लगें, लंबे समय तक बने रहें या किसी ट्रॉमा और मानसिक सदमे से जुड़े हों, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसी तरह अगर नींद के दौरान चिल्लाना, हाथ-पांव मारना या सांस रुकने जैसी समस्या दिखे, तो यह किसी गंभीर स्लीप डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत स्लीप स्पेशलिस्ट या मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से संपर्क करना जरूरी है, ताकि सही कारण पता चल सके और समय पर इलाज मिल सके।
कभी-कभी बुरे सपने आना सामान्य है, लेकिन अगर ये आपकी नींद या मन की शांति छीन रहे हैं तो इसे हल्के में न लें। सही नींद का रूटीन, मानसिक शांति और विशेषज्ञ की सलाह से नाइटमेयर्स (Nightmares) पर काबू पाया जा सकता है।