पीवी सिंधु ..ये एक ऐसा नाम है जिसे किसी पहचान की जरूरत नहीं है। इस बैडमिंटन चैपियन का नाम देश के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। रियो ओलंपिक में सिल्वर जीतकर इतिहास रचने वाली सिंधु देश के युवाओं के लिए मिसाल है। आज वो अपना 28 वां जन्मदिन मना रही है, तो चलिए इस मौक पर नजर डालते हैं बैडमिंटन प्लेयर स्टार के शानदार सफर पर...
महज 8 साल की उम्र में पीवी ने तय कर लिया था अपना करियर
पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकटा सिंधु है। 5 जुलाई 1995 को तेलंगाना में पैदा हुई सिंधु के माता- पिता वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे, जिसके चलते पीवी को भी बचपन से खेल में रुचि थी। लेकिन वो महज 8 साल की थी जब उन्होंने तय किया की वो वॉलीबॉल से अलग जाकर बैडमिंटन के खेल में अपना करियर बनाएंगी। पीवी के माता- पिता ने भी उसका भरपूर साथ दिया।
बैडमिंटन के लिए 8 महीना तक छोड़ा मोबाइल
पीवी बचपन से ही पुलेला गोपीचंद को फॉलो करती थीं जो ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीते थे । बाद में पुलेला ही पीवी सिंधु के कोच बने। पुलेला से ट्रनिंग लेने पीवी सिंधु 56 किलोमीटर का सफर तय करती थी, जहां पर sports academy थी। इसके लिए वो सुबह जल्दी उठकर सीखने के लिए जाया करती थी। उनका शुरू से खेल के प्रति काफी जुनून रहा है। उनका बैडमिंटन को लेकर ऐसा जुनून था कि 21 साल की उम्र में उन्होंने अपने कोच के कहने पर मोबाइल को 8 महीने के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उनके कोच का मानना था कि उनका मोबाइल उनके लिए डिस्ट्रेक्शन बन रहा है।
मिल चुके हैं कई सम्मान
साल 2013 में पीवी सिंधु ने अपने खेल में ऊंचाइयों की पहली सीढ़ी चढ़ी। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। इसके बाद रियो ओलंपिक सिल्वर मेडल जीत कर इतिहास रचा और भारत की सीना गर्व से ऊंचा किया। 2013 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2015 में पद्मश्री और 2016 में राजीव गांधी खेल रत्न से उन्हें नवाजा गया। 2020 में सिंधु को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण भी अपने नाम कर चुकी हैं।