शादी-शुदा महिला के लिए श्रृंगार खास महत्व रखता है। खासतौर पर हिंदू धर्म की सुहागन औरतें अपनी आखिरी सांस तक 16 श्रृंगार को पति की निशानी मानकर चलती हैं और इनका पूरे दिल से सम्मान करती हैं। इन 16 श्रृंगार में 15 वें नंबर पर आता है पैरों में पहना जाने वाला 'बिछिया'। शादी के बाद बिछिया पहनना एक औरत के लिए केवल श्रृंगार मात्र ही नहीं बल्कि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं.. आइए जानते हैं क्या हैं ये कारण...
बिछिया का इतिहास
शास्त्रों में बताया गया है कि जब रावण सीता जी का हरण कर उन्हें अपने साथ ले गया था, तो माता सीता ने निशानी के तौर पर एक जगह पर अपना बिछिया उतारकर फेंक दिया था, ताकि भगवान राम को उन्हें ढूंढने में आसानी हो सके। यहां से पता चलता है कि बिछिया का इतिहास काफी पुराना है।
महिलाओं के लिए कैसे है फायदेमंद?
आज जहां कुछ महिलाएं मात्र इसे फैशन के तौर पर पहनना पसंद करती हैं, वहीं इसे पहनने से महिलाओं को कई तरह के शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। जैसे कि...
बिछिया असल में अंगूठे के साथ वाली अंगुली में ही पहना जाता है। इस अंगुली में बिछिया पहनने से बॉडी की साइटिक नस अच्छे से काम करती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस अंगुली में बिछिया पहनने से गर्भाश्य की नसों में रक्त बहाव अच्छे से काम करता है। जिससे शादी के बाद महिला को मां बनने में किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
कुछ महिलाएं अंगूठे की दूसरी और तीसरी दोनों अंगुली में बिछिया पहनती हैं। दूसरी और तीसरी अंगुली में बिछिया पहनने से अनियमित पीरियड्स की समस्या ठीक होती है।
सोने या चांदी का बिछिया
हिंदू धर्म में सोने को लक्ष्मी जी का प्रिय माना जाता है, जिस वजह से शास्त्रों के मुताबिक सोने का कोई भी गहना कमर से नीचे नहीं पहना जाता। ऐसा करने से धन की लक्ष्मी, मां-लक्ष्मी का अपमान माना जाता है। इसी वजह से आज तक किसी भी महिला ने सोने का बिछिया नहीं पहना।
शरीर को रखे तरोताजा
चांदी वैसे भी आपकी बॉडी को फिट और एक्टिव बनाए रखने में मदद करती है। पैर में चांदी पहनने से यह धरती में मौजूद पॉजिटिव वाइबस को शरीर में भेजती है, जिससे महिलाएं हर वक्त तरोताजा और मानसिक तौर पर खुद को स्ट्रांग महसूस करती हैं।
तो ये थे बिछिया पहनने से महिलाओं के मिलने वाले 3 खास फायदे।
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