22 DECSUNDAY2024 10:46:31 AM
Nari

अबॉर्शन कराने का जानें कब है सही समय, सेहत पर नहीं पड़ता असर !

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 17 Nov, 2024 04:58 PM
अबॉर्शन कराने का जानें कब है सही समय, सेहत पर नहीं पड़ता असर !

नारी डेस्क: भारत में महिलाओं के लिए गर्भपात (अबॉर्शन) कराने का नया कानून मार्च 2021 में लागू हुआ, जिसके बाद गर्भावस्था के 24 हफ्ते तक अबॉर्शन कराना कानूनी रूप से संभव हो गया है, लेकिन यह सिर्फ विशेष मामलों में ही किया जा सकता है। इस नए कानून के मुताबिक, गर्भवती महिला की सेहत और बच्चे की स्थिति के आधार पर अबॉर्शन का फैसला लिया जाएगा।

अबॉर्शन का जोखिम और सेफ टाइम

गर्भपात को आमतौर पर 12 हफ्ते के भीतर करना सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इस समय तक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता और मां की सेहत पर कम असर पड़ता है। 12 हफ्ते के बाद, बच्चे का विकास शुरू हो जाता है और अबॉर्शन के दौरान जोखिम बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, 24 हफ्ते तक की गर्भावस्था में अबॉर्शन करने का निर्णय सिर्फ विशेष मामलों में लिया जा सकता है, जैसे कि भ्रूण में कोई गंभीर समस्या हो या मां की जान को खतरा हो।

PunjabKesari

अबॉर्शन का नया कानून

मार्च 2021 में हुए संशोधन के बाद, 12 हफ्ते तक डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन कराया जा सकता है। 12 से 20 हफ्ते तक इसे डॉक्टर की सलाह और कुछ परिस्थितियों में अनुमति मिलती है, जबकि 20 से 24 हफ्ते तक विशेष मामलों में दो डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन किया जा सकता है। अगर गर्भावस्था 24 हफ्ते से अधिक समय की हो और भ्रूण में कोई गंभीर समस्या हो, तो मेडिकल बोर्ड की सलाह लेनी पड़ेगी। अगर मां की जान को खतरा हो, तो डॉक्टर की सलाह से गर्भपात किया जा सकता है।

अबॉर्शन और महिलाओं की सेहत

अबॉर्शन से संबंधित जोखिम को लेकर आंकड़े भी चिंता का विषय हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर साल लाखों महिलाएं बिना किसी चिकित्सकीय सलाह के गर्भपात करती हैं, जिसके चलते कई महिलाओं की जान भी चली जाती है। इस लिहाज से अबॉर्शन के सुरक्षित तरीकों का पालन करना बहुत जरूरी है, ताकि महिलाओं की सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े।

PunjabKesari

महिलाओं के लिए खुद का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब वे मानसिक या शारीरिक रूप से कठिन दौर से गुजर रही होती हैं, जैसे गर्भपात के बाद। यहाँ कुछ तरीके हैं, जिनसे महिलाएं अपनी सेहत और भलाई का ध्यान रख सकती हैं

शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें

महिलाओं को गर्भपात के बाद अपनी शारीरिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शरीर में होने वाले बदलावों के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए दिन में कम से कम दो बार स्नान करना और आराम से सूती कपड़े पहनना जरूरी है। आंतरिक स्वच्छता के लिए गर्म पानी और हल्के साबुन का उपयोग करें, जिससे बैक्टीरिया से बचाव हो सके। पेड्स और टैम्पोन का सही तरीके से उपयोग करें और समय-समय पर बदलते रहें।

ये भी पढ़ें : किम कर्दाशियां जैसा ग्लैमरस लुक पाना चाहती थी महिला, सर्जरी के चक्कर में मौत से हुआ सामना

संतुलित आहार लें

गर्भपात के बाद शरीर की ताकत और ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए सही आहार लेना महत्वपूर्ण है। ताजे फल, हरी सब्जियां, पूरे अनाज, प्रोटीन, और आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दाल, पालक, और नट्स का सेवन करें। विटामिन C और आयरन का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि ये शरीर में रक्त निर्माण और इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। साथ ही, पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।

PunjabKesari

मानसिक सेहत का ध्यान रखें

गर्भपात के बाद मानसिक तनाव और भावनात्मक उथल-पुथल महसूस करना सामान्य है। खुद को समय देना, आराम करना, और ध्यान (मेडिटेशन) करना मानसिक शांति प्रदान करता है। योग और गहरी सांस लेने की तकनीकें न केवल मानसिक दबाव को कम करती हैं, बल्कि शरीर को भी आराम देती हैं। अगर स्थिति बिगड़े तो किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें और आवश्यकतानुसार थेरेपी या काउंसलिंग करवाएं।

अच्छी नींद लें

शरीर और दिमाग की रिकवरी के लिए सही नींद बेहद महत्वपूर्ण है। नींद की कमी से शरीर पर दबाव बढ़ सकता है और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। महिलाओं को खासकर रात को 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेनी चाहिए। यदि नींद में समस्या आ रही हो, तो नींद को बढ़ाने के लिए स्लीपिंग पैटर्न को नियमित करें और किसी भी प्रकार के तनाव से बचें।

हल्का व्यायाम करें

हल्का व्यायाम न केवल शारीरिक सेहत को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। महिलाएं योग, धीमी वॉकिंग, स्ट्रेचिंग, और प्राणायाम जैसी गतिविधियों से खुद को ताजगी महसूस कर सकती हैं। ये शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं, हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखते हैं और भावनात्मक स्थिति को भी स्थिर करते हैं। ज्यादा मेहनत वाली एक्सरसाइज से बचें, खासकर अगर आपका शरीर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ हो।

PunjabKesari

स्वस्थ रिश्ते बनाए रखें

मनोबल और भावनात्मक सेहत के लिए सामाजिक कनेक्शन बहुत महत्वपूर्ण है। अपने परिवार, दोस्तों या किसी करीबी से नियमित बातचीत करें और समय बिताएं। यह न केवल आपकी मानसिक स्थिति को बेहतर करता है, बल्कि भावनात्मक सहारा भी देता है। अगर आप अकेलेपन का महसूस करती हैं तो नजदीकी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश करें और मानसिक रूप से मजबूत बने रहें।

डॉक्टर के साथ नियमित चेक-अप

गर्भपात के बाद नियमित डॉक्टर के चेक-अप से यह सुनिश्चित होता है कि शारीरिक सेहत सही दिशा में जा रही है। महिलाओं को हर महीने अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और किसी भी नए लक्षण जैसे दर्द, खून का बहना, या अन्य असामान्य परिवर्तन पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। नियमित चेक-अप से कोई भी शारीरिक समस्या जल्दी पकड़ी जा सकती है और उसका इलाज समय रहते हो सकता है।

PunjabKesari

नशे से दूर रहें

गर्भपात के बाद महिलाओं को नशीली चीजों से पूरी तरह बचना चाहिए, जैसे शराब, सिगरेट, और ड्रग्स। ये न केवल शारीरिक सेहत के लिए हानिकारक हैं, बल्कि मानसिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकते हैं। इनसे शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है और भावनात्मक असंतुलन भी हो सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए इनसे दूरी बनाए रखें।

इन सरल उपायों को अपनाकर महिलाएं खुद का अच्छे से ख्याल रख सकती हैं और शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ रह सकती हैं। अबॉर्शन के दौरान सही समय पर चिकित्सीय मार्गदर्शन और निर्णय लेना बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे न सिर्फ मां की सेहत सुरक्षित रहे बल्कि कानून का पालन भी हो सके।

 

Related News