नारी डेस्क: प्रथम पातशाह श्री गुरु नानक देव की जयंती के अवसर पर शुक्रवार को लाखों श्रद्धालुओं ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और गुरु साहिब के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। गुरुपर्व के अवसर पर सचखंड श्री हरमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब और गुरुद्वारा बाबा अटल राय साहिब को अलौकिक रोशनी से सजाया गया था और अन्य गुरुद्वारों में भी रोशनी की गयी।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हॉल में श्री अखंडपाठ साहिब का समापन किया। इस अवसर पर सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के सेवादार रागी भाई हरविंदर सिंह की टीम द्वारा दिव्य गुरबाणी कीर्तन किया गया। इस दौरान श्री गुरु नानक देव जी के जीवन पर प्रकाश डाला और श्रद्धालुओं को गुरु साहिब की शिक्षाओं पर चलने के लिये प्रेरित किया गया।
गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हॉल में गुरमत समारोह के दौरान पंथ लोकप्रिय ढाडी और कविशर जत्थों ने गुर इतिहास सरवन का आयोजन किया। हरमंदिर साहिब सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल है। "हरमंदिर" का अर्थ है "भगवान का मंदिर" यह सिख धर्म की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का केंद्र है। मंदिर की ऊपरी मंजिल पूरी तरह से **सोने की परत** से ढकी हुई है, जो इसे "स्वर्ण मंदिर" नाम देता है।
गुरुद्वारे में चारों दिशाओं से प्रवेश द्वार हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यह सभी जाति, धर्म और समुदायों के लिए खुला है। यह सिख धर्म की समावेशिता और समानता के सिद्धांत को दर्शाता है। हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित किया गया है, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है। इसे दिनभर में अलग-अलग रागों में गाया जाता है, जिसे "गुरबाणी" कहते हैं।
यहां हर दिन हजारों लोगों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है, जिसे "लंगर" कहते हैं। यह सेवा बिना किसी भेदभाव के की जाती है और इसे दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक रसोई कहा जाता है। - यह स्थल सिख धर्म के कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। हरमंदिर साहिब सिख धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।