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मंगल पांडे को देश का नमन:  मां भारती के इस वीर सपूत के नाम से भी  थरथराते थे अंग्रेज्र

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 19 Jul, 2022 11:09 AM
मंगल पांडे को देश का नमन:  मां भारती के इस वीर सपूत के नाम से भी  थरथराते थे अंग्रेज्र

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पांडे को आज देश भर में श्रद्धांजलि दी जा रही है। क्रांतिकारी मंगल पांडेय की जयंती के मौके पर सरकारी विभागों से लेकर निजी स्थानों में खास  कार्यक्रम किए जा रहे हैं, जिसमें उनकी उनकी वीरता से लोगों को अवगत कराया जाएगा। पांडे का जन्म आज ही के दिन 1827 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्हें 1857 में ब्रिटिश शासन ने उन्हें फांसी दे दी थी

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पांडे ने 1857 में ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था जिसके बाद देश में विभिन्न स्थानों पर आजादी के लिए आवाजें उठने लगी थीं। ऐसा माना जाता है कि यह भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था। भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात मंगल पांडे द्वारा शुरू किया अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, समूचे देश में जंगल की आग की तरफ फैल गया था। 

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मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक थे, उन्होंने अकेले अपने दम पर सामने से ब्रिटिश अफसर पर हमला बोल दिया था, जिस वजह से उन्हें फांसी हो गई थी। मात्र 30 सालों की उम्र में उन्होंने अपने जीवन को देश के नाम कुर्बान कर दिया था। इतिहासकारों का कहना है कि मंगल पांडे को फांसी 18 अप्रैल को देना था लेकिन 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही दे दी गई।

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बताया जाता है कि अंग्रेज अफसर में मंगल पांडेय की मौत के बाद भी उनका खौफ था, वे उनकी लाश के पास जाने से भी कतरा रहे थे। उनके मरने के एक महीने के बाद उत्तर प्रदेश की एक सेना की छावनी में इस घटना के विद्रोह में बहुत से लोग सामने आये थे, वे सभी कारतूस रायफल के उपयोग का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। धीरे धीरे ये विद्रोह विकराल रूप लेने लगा था।
 

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