पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम को विष्णु का छठा अवतार हैं। इनका जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इस साल भगवान पराशुराम की जयंती आज यानि 22 अप्रैल को मनाई जा रही है। इसी दिन अक्षय तृतीय का पर्व भी मनाया जाता है। बता दें भगवान परशुराम ने सनातन धर्म को बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है। ये भी मान्यता है कि परशुराम का जन्म धरती पर राजाओं द्वारा किए जा रहे अधर्म, पाप को समाप्त करने के लिए हुआ था। इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। परशुराम जी महादेव के परम भक्त होने के कारण ही उन्हें रुद्र शक्ति भी कहा जाता है।
बन रहे हैं कई योग
परशुराम जयंती के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इन दिन पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है।
आयुष्मान योग - शनिवार, 22 अप्रैल, प्रातः 09 बजकर 24 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11: 53 बजे से दोपहर 12: 45 बजे तक
भगवान परशुरम की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि थे। ऋषि जमदग्नि ने चंद्रवंशी राजा की पुत्री रेणुका से विवाह किया था। ऋषि जमदग्नि और रेणुका ने पुत्र की प्राप्ति के लिए एक महान यज्ञ किया। इस यज्ञ से प्रसन्न होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया और अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी ने जन्म लिया। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था। राम ने शस्त्र का ज्ञान भगवान शिव से प्राप्त किया और शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें अपना फरसा यानि परशु प्रदान किया। इसके बाद वह परशुराम कहलाए। उन्हें चिरंजीवी (लंबी आयु) रहने का वरदान मिला था। इसके बारे में रामायण और महाभारत दोनों काल में बताया गया है। उन्होंने ही श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था और महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था।