हर साल की तरह इस बार भी 12 जून को "वर्ल्ड चाइल्ड लेबर डे" मनाया जाएगा। जिसका सिर्फ एक ही उद्देश्य है बाल श्रम को खत्म करना। इसकी शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम न कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक करना है।
बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस का इतिहास
बाल मजदूरी को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है। जिसके कारण दिन-प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और 5 से 15 साल के बच्चों का बचपन खराब हो रहा है। वह परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए बचपन में काम पर लग जाते हैं। जिसके चलते वह बचपन से पर्याप्त शिक्षा, उचित स्वास्थ्य देखभाल, अवकाश का समय या बस बुनियादी स्वतंत्रता से भी वंचित रह जाते हैं। इससे बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएं आती हैं।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का महत्व
बाल मजदूरी के खिलाफ विश्व दिवस व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को बच्चों की रक्षा करने और एक ऐसी दुनिया बनाने की उनकी जिम्मेदारी के लिए याद दिलाने का काम करता है, जहां हर बच्चा एक सुरक्षित और पोषण वाले वातावरण में विकसित हो सकता है. यह बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए सहयोग और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देता है और बच्चों को ऐसे अवसर प्रदान करता है जिससे कि वह बेहतर भविष्य के हकदार बन सकें।
विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस की थीम
इस थीम का मुख्य उद्देश्य बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए सशक्त विकास की ओर बढ़ावा देना है। यह थीम इस बात को प्रमुखता देती है कि बाल मज़दूरी से मुक्त होने के लिए हमें समग्र विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और समान अवसरों की गारंटी प्रदान करनी चाहिए।