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कार्तिक मास: जान लें भगवान विष्णु के प्रिय महीने से जुड़़े 7 मुख्य नियम

  • Edited By neetu,
  • Updated: 23 Oct, 2020 11:30 AM
कार्तिक मास: जान लें भगवान विष्णु के प्रिय महीने से जुड़़े 7 मुख्य नियम

आज से कार्तिक का पावन महीना शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के इस प्रिय महीने को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान व्रत, तप आदि करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो घर सुख, समृद्धि व खुशियों से भर जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीहरि ने ब्रह्मा जी को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को इस मास की महानता के बारे में बताया था। साथ ही इस मास में 7 मुख्य नियमों के बारे में बताया था, जिनका पालन करने से मनोकामना पूरी होती है। तो चलिए आज हम आपको उन्हीं नियमों के बारे में बताते हैं...

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पहला नियम

श्रीहरि की तुलसी अतिप्रति होने से इस मास में तुलसी का पूजा पर विशेष महत्व दिया जाता है। वैसे तो तुलसी माता को हमेशा ही पूजा जाना चाहिए। मगर इस महीने में इनकी पूजा व अर्चना करने से देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा मिलती है। 

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दूसरा नियम 

कार्तिक मास का पहला और सबसे पवित्र नियम दीपदान को माना जाता है। इस पूरे महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान करने से शु भ फल मिलता है। घर में मौजूद नकारात्मकता दूर हो जीवन में खुशियों का आगमन होता है। 

तीसरा नियम

शास्त्रों के अनुसार, इस मास में बिस्तर की जगह धरती पर सोना चाहिए। माना जाता है कि धरती पर सोने से व्यक्ति तन और मन से शुद्ध होता है। उसके अंदर की बुराई दूर हो वह अच्छाई के रास्ते पर चलता है। 

चौथा नियम

मान्यता है कि इस महीने में शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए। अगर कोई लगाना चाहता है तो वो सिर्फ नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन की लगा सकता है।

पांचवां नियम  

इस दौरान उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि के सेवन से करने की मनाही होती है। इसके अलावा व्यक्ति को मांस- मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। 

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छठा नियम

जो लोग इस मास में व्रत रखते हैं उन्हें अपना जीवन तपस्वियों की तरह जीना चाहिए। उन्हें अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए। साथ ही कम बोलना, दूसरों की अधिक सुननी, किसी की बुराई न करनी, झगड़ा न करना आदि नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसे में व्यक्ति कोे खुद पर संयम रख कर चलना चाहिए। तभी व्रत का पूरा फल मिल पाएगा।

सातवां नियम

इस मास में ब्रह्मचर्य का पालन कर सारा समय प्रभु भक्ति पर लगाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा न करने से पति-पत्नी के बीच झगड़े हो सकते हैं। 

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