नारी डेस्क: देवउठनी एकादशी, जिसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे सभी 24 एकादशियों में सबसे विशेष और शुभ माना गया है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का खास महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। भक्त इस अवसर पर भगवान को खास भोग अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। आइए जानते हैं कौन से 5 भोग भगवान विष्णु को अर्पित करने से लक्ष्मीजी भी प्रसन्न होती हैं
केसर खीर
भगवान विष्णु को केसर से बनी खीर अत्यंत प्रिय है। शुद्ध दूध, चावल, मिश्री और केसर मिलाकर बनी खीर का भोग देवउठनी एकादशी पर अर्पित करें। मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और धन-समृद्धि की कमी नहीं रहती।
दूध-केला
भगवान विष्णु को केले का भोग बहुत पसंद है। पूजा में केले के पत्ते का मंडप बनाएं और साथ ही दूध-केला का भोग अर्पित करें। पीले केले और दूध से बने इस भोग से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
पंचामृत
पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण होता है, और इसे तुलसी के पत्तों के साथ अर्पित करना अनिवार्य है। माना जाता है कि देवउठनी एकादशी पर पंचामृत चढ़ाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर सौभाग्य और धन-वैभव का आशीर्वाद देते हैं।
गन्ना
गन्ना जीवन में मधुरता और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु को गन्ना अर्पित करें और गन्ने के मंडप में पूजा करें। इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं और घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
सिंघाड़ा
सिंघाड़ा माता लक्ष्मी को प्रिय है, इसलिए एकादशी के दिन भगवान विष्णु को सिंघाड़ा अर्पित करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इससे व्यक्ति की आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। कच्चा सिंघाड़ा या सिंघाड़े का हलवा भगवान को चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करें।
देवउठनी एकादशी का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार फिर से संभालते हैं। इस दिन से शुभ कार्यों का शुभारंभ होता है, जैसे विवाह, सगाई, मुंडन आदि।
इस एकादशी पर भगवान विष्णु को ये पांच विशेष भोग अर्पित करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं, जिससे उनका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है।