कोरोना का खतरा कुछ कम हुआ ही था कि स्विट्जरलैंड में फैली एक नई रहस्यमयी बीमारी एक्स(X) ने लोगों में खलबली मचा दी है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स की मानें तो इस रहस्यमयी बीमारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अड्डानम गेब्रेसिस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) और कुछ अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस खतरनाक बीमारी पर बात की है। यह मीटिंग मुख्यतौर पर एक्स डिजीज के लिए रखी गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रहस्यमयी बीमारी एक्स(X) कोरोनावायरस महामारी की तुलना में 20 गुना से ज्यादा मौतों का कारण बन सकती हैं।
WHO ने शुरु की महामारी से बचने की तैयारियां
रहस्यमय रोग एक्स का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन यह अभी से माइक्रोबियल खतरा मानी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2017 में इस रोग को एक अपनी रिसर्च में सबसे ऊपर शामिल किया था। इसके एक्टिव पैथागन्स जैसे SARS(Severe Acute Respiratory Syndrome) और एबोला (Ebola) जैसे पार्टिकल्स भी बहुत ही खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो यह उनकी ओर से एक शुरुआत है ताकि इस खतरनाक बीमारी के लिए एक तैयारी रखी जाए। पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 इबोला महामारी द्वारा छिड़ा मानवीय संकट एक वेकअप कॉल था। दशकों की रिसर्च के बाद 11,000 से ज्यादा लोगों की जान बचाने के लिए समय पर तैनात करने के लिए कोई उत्पाद भी तैयार नहीं थे। जवाब में डब्ल्यूएचओ ने प्राथमिकता वाली बीमारियों के लिए उपकरणों की एक श्रृंखला के विकास में तेजी लाने के लिए एक आर और डी की ओर से ब्लूप्रिंट भी बनाया है।
जानवरों से इंसानों में फैलती है ये बीमारी
कोविड 19 वायरस एक्स का उदाहरण था जब इसने 2019 के अंत में महामारी को छुआ था। वहीं बात एक्स वायरस की करें तो यह एक नया वायरस है जो जीवाणु, बैक्टीरिया, फंगस के कारण होता है। यह आरएनए वायरस (RNA Virus) की तरह जूनोटिक डिजीज(Zoonotic Disease) से संबंधित हो सकता है यानी यह जंगली या घरेलू जानवरों में होगा और फिर उनसे इंसानों में फैलने की उम्मीद लगाई जा रही है। इबोला, एचआईवी/एड्स और कोविड-19 भी जूनोटिक बीमारियां थी जो जानवरों से इंसानों में आई थी। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन पर काफी निगरानी की जरुरत है।
काफी खतरनाक है डिजीज एक्स(X)
एक किताब में यूके वैक्सीन टास्कफोर्स के पूर्व अध्यक्ष केट बिंघम ने अज्ञात वायरस के लिए एक विशाल पूल से उभरने के लिए अगली महामारी डिजीज एक्स को लेकर कड़ी चेतावनी दी थी। संभावित रुप से स्पेनिश फ्लू के रुप में कई जीवन का दावा किया जिसने अनुमानित 50 मिलियन लोगों को मार डाला। डेली मेल में प्रकाशित हुई इस किताब का एक अंश अगली महामारी के बारे में उनकी चिंताओं को रेखांकित करता है और इसके प्रति तैयारियां बढ़ाने के लिए भी इसमें सलाह दी गई है। फ्लू महामारी के बारे में बात करते हुए बिंघम और हेम्स ने नोट किया कि 1918-19 में फ्लू महामारी ने दुनियाभर में कम से कम 50 मिलियन लोगों की जान ली है। यह लोग पहले विश्व युद्ध के दौरान मारे गए थे। वे इस बात पर जोर देते हैं कि एक समान मृत्यु दर से पहले मौजूद अनगिनत वायरस में से एक के परिणामस्वरुप यह महामारी हो सकती है।