शिव भगवान ही एक मात्र ऐसे देव है, जो अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। अगर भक्त भोलेनाथ को सच्चे मन से बुलाते हैं तो वह तुरंत उनके पास आ जाते हैं। कल 2023 को साल का दूसरा प्रदोष व्रत है। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव का विशेष कृपा होती है। भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं इस दिन प्रदोष व्रत की कथा पढ़ने या सुनने से व्रत के समान फल प्राप्त किया जा सकता है।
गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
गुरु प्रदोष का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी 2023 को शाम 4 बजकर 26 मिनट से शुरु होकर शाम 6 बजकर 57 मिनट पर खत्म होगा। गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 1 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था। इसलिए वह सुबह होते ही अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। ऐसे ही वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।
एक दिन अंशुमित नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमित अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमित के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमित का विवाह कर दिया जाए, और वैसे ही किया गया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत रखने के साथ ही भगवान शंकर का पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायत से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण -पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।