फरवरी का महीना बेहद रोमांटिक होता है। इस खूबसूरत महीने में लोग इजहार-ए-इश्क करने से पीछे नहीं हटते। ये हसीन महीना वैलेंटाइन वीक का होता है। 7 फरवरी से वैलेंटाइन वीक की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें 7 फरवरी को रोज डे के तौर पर मनाया जाता है, इसके बाद 14 फरवरी तक, हर दिन को एक नए दिन के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। युवाओं को इस वीक का खासतौर पर इंतजार रहता है। लेकिन क्या आपको इसके पीछे का इतिहास पता है? इसके पीछे संत वैलेंटाइन की कुर्बानी की कहानी है, जिनके नाम पर इस वीक को सेलिब्रेट किया जाता है। चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे के इतिहास के बारे में।
रोम से हुई थी इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत
वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत रोम से हुई थी। कहा जाता है कि 270 ईसवी में पादरी हुआ करते थे, जिनका नाम संत वैलेंटाइन था। संत वैलेंटाइन प्यार में विश्वास करते थे और 2 प्यार करने वालों को मिलन करवाते थे। लेकिन रोम का राजा क्लाउडियस प्यार के खिलाफ था। उसका मानना था कि इससे लोगों का भटकाता है, वो कमजोर होते हैं। लोग सेना में भर्ती नहीं होना चाहते। क्लाउडियस के रोम में सैनिकों की शादी और सगाई पर पाबंदी लगा रखी थी। ये बात जब संत वैलेंटाइन को पता चली, तो उन्होंने इसका विरोध कर दिया और राजा के खिलाफ जाकर कई प्यार करने वालों को मिलवाया और उनकी शादियां करवाईं।
14 फरवरी को दी गई संत वैलेंटाइन को फांसी
इस बात से नाराज राजा ने संत वैलेंटाइन को जेल में डलवा दिया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी। कहा जाता है कि जब संत वैलेंटाइन को जेल में बंद थे, तब उन्होंने वहां के जेलर की बेटी को एक लेटर लिखा, जो देख नहीं सकती थी और उन्हें बहुत मानती थी। लेकिन संत वैलेंटाइन की प्रार्थना से एक चमत्कार हुआ और उसकी आंखों में रोशनी आ गई। उस लेटर पर संत ने सबसे आखिर में लिखा था ‘फ्रॉम योर वैलेंटाइन’। 14 फरवरी को उन्हें फांसी दे दी गई, जिसके बाद से ये दिन उनको याद करते हुए, उनके सम्मान में मनाया जाता है।