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Nari

हाथ न होने के बाद भी नहीं मानी हार, तीरंदाजी कर शीतल देवी ने Arjun Award किया अपने नाम

  • Edited By palak,
  • Updated: 09 Jan, 2024 05:09 PM
हाथ न होने के बाद भी नहीं मानी हार, तीरंदाजी कर शीतल देवी ने Arjun Award किया अपने नाम

कहते हैं किसी भी काम को करने की इच्छा हो तो आपको उसे हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही विश्व की नंबर एक पैरा तीरंदाज व एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता रह चुकी शीतला देवी के साथ हुआ है। शीतल देवी के हाथ न होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा किया। उनके इसी हौंसले के चलते आज उन्हें राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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दो स्वर्ण और तीन ऐसे ही मेडल जीत चुकी हैं शीतल देवी 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में खिलाड़ियों को ट्रॉफी और पुरस्कार के साथ सम्मानित किया है। ऐसे में पैरों से लक्ष्य साधने वाली शीतल देवी को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। जम्मू कश्मीर की बेटी शीतल देवी ने 2023 में हांगझू में आयोजित चौथे पैरा एशियन पैरा गेम्स में देश के लिए दो स्वर्ण समेत तीन मेडल जीते थे। इसके साथ ही वह एक ही एडिशन में दो स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। शीतल देश की पहली ऐसी तीरंदाज हैं जिनके हाथ नहीं हैं। 

किश्तवाड़ के दूरदराज गांव लोई धार में हुआ जन्म 

आपको बता दें कि शीतल देवी का जन्म किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव लोई धार में हुआ था। शीतल के पिता एक किसान हैं और उनकी मां घर संभालती हैं। जन्म से ही शीतल के दोनों हाथ नहीं थे ऐसे में शीतल के जीवन में शुरु से ही कई सारी चुनौतियां रही थी। हालांकि शारीरिक रुप से कमजोर होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी किस्मत को पंख लगा दिए। 

शीतल ने तीरंदाजी शुरु की 

शीतल ने तीरंदाजी शुरु कर दी। उन्होंने सिर्फ छाती के सहारे दांतों और पैरों से तीरंदाजी की। उन्होंने कभी भी अपने आप को कमजोर नहीं समझा और अपने सपने को पाने का पूरा प्रयास किया। 

अर्जुन अवॉर्ड हासिल करने पर जताई खुशी 

जब शीतला ने अर्जुन अवॉर्ड अपने नाम किया तो वह बहुत ही खुश थी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि माता वैष्णो देवी की कृपा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिला आशीर्वाद उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि उसे अर्जुन पुरस्कार मिलेगा। इस पुरस्कार का सारा श्रेय मेरे माता-पिता, कोच कुलदीप, वेदवान और अभिलाष चौधरी, श्राइन बोर्ड साथ ही बैंगलुरु में मेरा मार्गदर्शन करने वाली प्रीति राय को जाता है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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फोकोमेलिया नाम की बीमारी से पीड़ित हैं शीतल 

शीतल देवी बचपन से ही फोकोमेलिया नाम की बीमारी सी पीड़ित हैं। इस बीमारी के चलते उनका शरीर का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया। इस कारण उन्हें जीवन में काफी संघर्ष भी करना पड़ा। बाजू न होने के कारण उन्होंने अपने पैरों से तीर धनुष चलाकर दुनिया जीत ली।

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