भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या पितृ यानि श्राद्ध पक्ष आता है। माना जाता है कि इस दौरान घर के पितर धरती पर आकर अपने वंशजों से मिलते व उन्हें आशीर्वाद देते हैं। पूर्वजों की आत्मा की शांति व उनका आशीर्वाद पाने के लिए उनके वंशज पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं। श्राद्ध का भोजन ब्राह्माणों को खिलाने से पहले उसमें से गाय, कुत्ता, कौआ, देवता और चींटियों के लिए पांच हिस्से निकाले जाते हैं। इसे हिस्सों को पंचबलि कहा जाता है। मान्यता है कि इससे पितर प्रसन्न होते हैं। चलिए जानते हैं इन पंचबलि हिस्सों के बारे में विस्तार से....
गोबलि
हिंदू धर्म में गाय को बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इसमें 33 कोटि देवी- देवताओं का वास होता है। इसलिए पश्चिम दिशा की ओर एक हिस्सा गाय के लिए निकालें। गाय को खिलाने से देवताओं को संतुष्टी व प्रसन्नता मिलती है। कहा जाता है कि मौत के बाद यमलोक के बीच पड़ने वाली भयानक वैतरणी नदी को पार करने के लिए गाय की मदद करती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन का एक हिस्सा गाय के लिए जरूर निकालना चाहिए।
श्वानबलि
पितृ पक्ष के भोजन में एक हिस्सा कुत्तों को खिलाया जाना चाहिए। कुत्ता मृत्यु के देवता यमराज का पशु कहलाता है। मान्यता है कि श्राद्ध का एक हिस्सा कुत्ते को खिलाने से यमराज की प्रसन्न होते हैं। श्वानबलि को कुक्करबलि भी कहते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार, कुत्ते को रोटी खिलाते दौरान कहना चाहिए कि, 'यमराज के मार्ग का अनुसरण करने वाले श्याम और शबल नाम के जो दो कुत्ते है मैं उन्हें अन्न का भाग दे रहा हूं। वे इसे खुशी-खुशी स्वीकार करें।'
काकबलि
श्राद्ध के भोजन में कौए का खास महत्व है। असल में, कौए को मृत्यु के देवता यमराज का प्रतीक माना जाता है। साथ ही ये हमें दिशाओं का शुभ व अशुभ संकेत देता है। कौए के निकाले जाना वाला हिस्सा काकबलि कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में काकबलि का हिस्सा खिलाने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं। साथ ही वे घर-परिवार आशीर्वाद देते हैं।
देवादिबलि
श्राद्ध के भोजन में देवताओं के लिए निकाला गया हिस्सा देवादिवलि कहलाता है। इसे अग्निन में समर्पित किया जाता है। इसके लिए घर की पूर्व में मुंह करके गाय के गोबर से बने उपलों को जलाएं। फिर उसमें घी के साथ भोजन के 5 निवाले ऱखकर अग्नि में डालें। मान्यता है कि भोजन को अग्नि को प्रज्जवलित करने से ये देवताओं द्वारा ग्रहण किया जाता है।
पिपीलिकादिबलि
पंचबलि का पांचवां व आखिरी हिस्सा चींटियों व अन्य कीड़े- मकौड़ों को खिलाा जाता है। मान्यता है कि इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इससे घर में सुख-समद्धि, खुशहाली व शांति का वास होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध के भोजन में पांच हिस्सों को निकालने के बाद ब्राह्मण भोज कराना चाहिए। इससे पितरों को संतुष्टी मिलती है। पूर्वजों व देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है।