हर मां-बाप चाहतें है कि वह अपने बच्चों को अच्छा और सुखमय जीवन दें लेकिन इस बीच हम कई बार कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते है जो आगे चलकर बच्चों और पेरेंट्स दोनों को महंगा पड़ जाता है। ज्यादातर मां-बाप बच्चों को परफेक्ट लाइफ देने के चक्कर में उन्हें प्यार-दुलार में बिगाड़ लेते है, ऐसे में हम हम आपको मां-बाप की ऐसी 4 गलतियां बताने जा रहें है जिनसे बच्चे बिगड़ते हैं।
तारीफ करना-
कई बार अभिभावक बच्चों के प्यार दुलार में इतने मगन हो जाते हैं कि वह हर वक्त बच्चों की तारीफ करते रहते हैं। तारीफ करना अच्छी बात है, लेकिन कई बार ओवर तारिफ करना बच्चों के लिए सही नहीं है। क्योंकि हर समय बच्चों की तारीफ करने से उनका मेंटल डेवल्पमेंट नहीं हो पाता। इससे बच्चे कोई भी चैलेंज जल्द एक्सेपट नहीं कर पाते। बच्चों की कमज़ोरियों पर टोकना और समझाना उतना ही जरूरी है, जितना उनकी तारिफ करना। इसलिए कभी भी बच्चों की झूठी तारिफ न करें।
हर दम बच्चों को सपोर्ट करना-
बच्चे अपनी उम्र और समझ के मुताबिक उतने डेवेल्प नहीं होतें जितने की अभिभावक होते हैं। कई बार मुश्किलों, कठिनाईयों में हम बच्चों की मदद करने लगते हैं लेकिन ऐसे मौके पर बच्चों को पहल देनी चाहिए हां आप सहयोग कर सकतें है लेकिन उन्हें यह फेस करना सिखाएं। अगर आफ खुद ही उनकी परेशानियों को हल करेंगे तो वह आप पर डिपेंडेंट हो जाएंगे। आप अपने बच्चों को चुनौतियों का स्वयं सामना करना सिखाएं। इशसे बच्चा मजबूत इच्छाशक्ति वाला और स्वतंत्र जीवन जीने के काबिल बनता है।
बच्चों की हर डिमांड को पूरा करना-
हर मां- बाप चाहतें है कि वह अपने बच्चों को सारी दुनिया की खुशिय़ां दें। लेकिन कई बार बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करते करते हमें यह नहीं पता चलता कि बच्चा जिद्दी बनता जा रहा है। बच्चों को ढेर सारे गिफ्ट्स देना, उनके एक कहें पर डिमांड पूरी कर देना यह सब कुछ पल के लिए तो ठीक है लेकिन बाद में बच्चा इसका आदि हो जाता है। इसलिए हर समय बच्चों की डिमांड पूरी न करें उसे पैसों का महत्तव समझाएं। हर दौर से गुज़रने के लिए उसे प्रेरित करें।
बच्चों के लिए ओवर प्रॅाटेक्टिव रहना-
हर मां-बाप अपने बच्चों से बेहद प्यार करते हैं, लेकिन हर समय बच्चों के लिए ओवर प्रॅाटेक्टिव रहना यह उनके लिए ठीक नहीं है। प्यार और चिंता के साथ बच्चों के लिए आपकी सख्ती, नाराजगी भी जरूरी है। ऐसे रिएक्शन से आप बच्चों को मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार करते हैं, कि वो अपने जीवन में शामिल होने वाले लोगों के मनोभावों के प्रति कैसे रिएक्ट करना है ये सीख सकें। इसलिए बच्चों को एक लिमिट में रहकर ही प्यार दें।